दुर्गेश साहू 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid दुर्गेश साहू 20 Jun 2022 · 1 min read नज़र हजार रंग उड़े थे उसके अजब सी लाली छाई थी जब वो मुझसे मिलने आई थी आंखों में उसके नूर थी पर मुझसे काफी दूर थी नज़रे मुझे ही ढूंढ... Hindi 211 Share दुर्गेश साहू 23 May 2022 · 1 min read दरीचे दरीचे (खिड़कियां) खोल कर अक्सर ये अहसास होती है की हवाओं का यू बहना और बहते हुए चेहरे को छुना कितनी मुतमईन है कभी जब कमरों में रोशनी न आए... Hindi · कविता 120 Share