Basanta Bhowmick 13 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Basanta Bhowmick 29 Apr 2020 · 1 min read बंजारा आशिक़ कभी सगा नहीं होता बंजारा - इस कविता में इसका अर्थ यह है कि जिन लोगो का relationship हर दिन change होता है। बंजारे आशिकों का वो ढेर जमा हुआ, जहां इश्क़ अपने आप... Hindi · कविता 3 229 Share Basanta Bhowmick 15 May 2020 · 1 min read छपाक से पहचान ले गया मेरे लबो से मुस्कान और चेहरे से मासूमियत बिखर गई है, सिर्फ चंद कत्रे तेज़ाब से मेरी पूरी ज़िंदगी बदल गई है, आज भी वह देहशात मेरी परछाई समान घूम... Hindi · कविता 3 245 Share Basanta Bhowmick 21 Aug 2020 · 1 min read कुछ रास्ते हमे सबक सिखा जाते हैं अगर कुछ बात हो तुम्हारे जेहन में तो बता सकती हो, सफर का आधा हिस्सा तुम मेरे साथ बाट सकती हो, यूं तो तुम बेबस नहीं हो, फिर भी बेबसी... Hindi · कविता 3 200 Share Basanta Bhowmick 24 Apr 2020 · 1 min read अटूट रिश्ते की कहानी "चांद और आसमान" काले बादलों से लिपटा हुआ चांद आज भी खूबसूरत लगने लगा है, यह खुला आसमान भी उसे देखकर अपनी दीवानगी जताने लगा हैं। लगता नहीं देखकर की बदन के रंग... Hindi · कविता 2 463 Share Basanta Bhowmick 25 Apr 2020 · 1 min read दो रंग और एक ही चेहरा हर एक रंग और बदनाम चहरे के लोगो को ज़िंदगी में नवाजते देखा है, हर बार मैंने सच बोलने वालो को ज़िंदगी के बाज़ार में बिकते देखा है, यकीन नहीं... Hindi · कविता 2 4 325 Share Basanta Bhowmick 26 Apr 2020 · 1 min read मनुष्य भीतर से खोखला है ज़िंदगी में नवाजे गए लोग आज भी शोहोरत के पीछे भाग रहे हैं, फासला है सिर्फ एक दूरी का जहा अपनी ताज गवा रहे हैं। मुनासिब हैं नामक मगर अपने... Hindi · कविता 2 219 Share Basanta Bhowmick 28 Apr 2020 · 1 min read तुम हमे अब पहले जैसा नहीं देख पाओगे मेरे इश्क़ की भरपाई तुम कभी नहीं कर पाओगे, सब कुछ जानकार भी मुझे तुम मरा हुआ पाओगे, बेशक तुमसे हमने दर्द की परिभाषा सीखी है, बस यही फर्क है... Hindi · कविता 2 261 Share Basanta Bhowmick 2 May 2020 · 1 min read वो खुशी खुशी सब कुछ सेह लेता है रात से सुबह होना यह जाहिर सी बात है, चांद को काले धब्बे लगाना यह कहा कि रीत हैं, महफूज़ नहीं वो चांद जो हर गली की सैर करता हैं,... Hindi · कविता 2 2 207 Share Basanta Bhowmick 18 May 2020 · 1 min read " मां में नचनिया नहीं एक कलाकार हूं " घुंघरू की एक झंकार में पूरी तरह सवर जाती हूं, अपने आप के धुन में पूरी तरह डूब जाती हूं, दुनिया वाले मुझे गंदी नज़रों से देखते हैं, पर मां... Hindi · कविता 2 2 235 Share Basanta Bhowmick 2 Jun 2020 · 1 min read में आज भी उस बंद कमरे का शिकार हूं इस चार दिवरो के बीच उस पन्ने के साथ बैठता हूं, हर तरफ अंधेरा सा रहता है फिर भी अपने आप से बाते कर लेता हूं, किसी की खुशी के... Hindi · कविता 2 262 Share Basanta Bhowmick 24 Apr 2020 · 1 min read "राजनीती" शब्द ही घिनौनी हैं एहतियात सी ज़िंदगी नवाबों का शहर बन जाता है, मनुष्यता के किताब को अछूत समझा जाता है, हथेलियों में इस शब्द का मोहर गारा जाता है, गली गली और शहर... Hindi · कविता 1 391 Share Basanta Bhowmick 6 May 2020 · 1 min read किन्नर समाज A respectable poem for LGBTQ community. I support LGBTQ ?. इस समाज मै एक अनोखी विशेषता निभाते हैं, सबसे अलग जिंदगी जीने का तरीका जानते हैं, दर्द नहीं दुआ में... Hindi · कविता 1 632 Share Basanta Bhowmick 8 Jan 2022 · 1 min read बसंत: तुम्हारे जैसा नहीं है हर बार लोग बसंत को बस यही क्यों कहते रहते है, बाड़े होकर मां के साथ कभी नही घुमा करते है, छोटी फितरत के साथ पूरा जीवन यही लोग जिया... Hindi · कविता 1 537 Share