Vivek saswat Shukla Tag: Sayri 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Vivek saswat Shukla 22 Mar 2024 · 1 min read दो पंक्तियां थी आरज़ू मुकम्मल इश्क की हमें, है ग़म की मुंतशिर भी हो ना पाए,, दस्तक दी है, दरवाजे पर किसी ने फिर, इतनी रात में अब बाहर कौन जाए,, गला... Isq · Sayri · Sher · Vivek Saswat · Vivek Saswat Shukla 104 Share