विवेक प्रजापति 'विवेक' Tag: कुण्डलिया 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विवेक प्रजापति 'विवेक' 1 Aug 2016 · 1 min read सच्चाई रोने लगी सच्चाई रोने लगी, हँसता देखा झूठ। फिर भी सबकुछ जानकर, बने खड़े हैं ठूँठ।। बने खड़े हैं ठूँठ, हृदय में चोर भया है। मानुष का व्यवहार, पतन की ओर गया... Hindi · कुण्डलिया 1 514 Share विवेक प्रजापति 'विवेक' 1 Aug 2016 · 1 min read धन धन की खातिर आदमी, करता क्या क्या काम। श्रम बिन धन कहुँ कब मिले, कैसे हो आराम।। कैसे हो आराम, बड़ी है आपाधापी। धन ने जग में यार, बनाये हैं... Hindi · कुण्डलिया 2 500 Share