विवेक आस्तिक Language: Hindi 18 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विवेक आस्तिक 19 Sep 2020 · 1 min read वार पीठ पर सुख-सुविधा का वहम लपेटे इस मशीन को ठेल रहे हम! बॉलीवुड सा अभिनय करके अंदर-अंदर मरे हुए। पर्दा खींच रहा निर्देशक हम हँसते पर डरे हुए। पत्ते फेंट रहा जादूगर... Hindi · गीत 2 274 Share विवेक आस्तिक 28 Feb 2020 · 1 min read लुटता सालों-साल आदमी एक लुटेरा सपना लेकर लुटता सालों-साल आदमी! गाँव छोड़कर नगर ओढ़कर दस गज घर में घुटता है। चौराहों पर भूख दबाए कुछ नोटों में बिकता है। आश्वासन की घुट्टी पीकर... Hindi · गीत 2 1 249 Share विवेक आस्तिक 25 Feb 2020 · 1 min read फिर से आग लगी है! बुझने की उम्मीद थी , मगर फिर से आग लगी है! चंदन वन के पेड़ आँधियों से आपस में रगड़े। घास-फूस ,पत्तियाँ सभी ख़ुश देख-देख ये झगड़े। इक चिंगारी लपट... Hindi · गीत 1 269 Share विवेक आस्तिक 5 Feb 2020 · 1 min read धड़कन सुनना होता है तन्हाई में सिर को धुनना होता है। दीवारों की धड़कन सुनना होता है। दुनिया वाले तो कीलें ही बोयेंगे , सखे! मार्ग तो ख़ुद ही चुनना होता है। ---©विवेक आस्तिक Hindi · मुक्तक 2 400 Share विवेक आस्तिक 5 Feb 2020 · 1 min read हर सड़क पर हर सड़क पर कील बोते जा रहे हैं! देखिए हम सभ्य होते जा रहे हैं! तोड़ देना पुरुषवादी बेड़ियों को चाहते हैं तन सभी को हम दिखाएं। देश बाँटें, फिर... Hindi · गीत 2 251 Share विवेक आस्तिक 5 Feb 2020 · 1 min read प्यास से व्याकुल परिंदे जा रहे हो, ठीक है पर खुश रहो तुम , हम कोई वीरान मरुथल ढूँढ़ लेंगें। पाँव में जब फट रही होगी विबाई। भाव होगें सब हृदय के आतताई। दन्द्व... Hindi · गीत 440 Share विवेक आस्तिक 21 Jan 2020 · 1 min read जीभ के छाले कहेंगे हम अगर कुछ कह न पाए जीभ के छाले कहेंगे । चीखकर दम तोड़ देंगी गाँव की पगडंडियाँ , हर मुहल्ले में मिलेंगी जमघटों की झंडियाँ। अब हमें स्वच्छंद रहना... Hindi · गीत 1 346 Share विवेक आस्तिक 21 Jan 2020 · 1 min read दीवारों के कान पक गए पहले वाले मूल्य सभी हैं , चलते-चलते आज थक गए ! चौपालों के वक्षस्थल पर अद्धे -पौए झूम रहे हैं , मुखिया जी की चरण-पादुका चमचे मिलकर चूम रहे हैं... Hindi · गीत 1 1 487 Share विवेक आस्तिक 15 Mar 2019 · 1 min read गीत- ' पहले तुमको चाहा था! हाँ , पहले तुमको चाहा था! शशि सी तुम मुझको लगती थीं और तुम्हें लगता था दिनकर ! प्रथम बार जब दृष्टि पड़ी थी तुम भी विह्वल मैं भी विह्वल।... Hindi · गीत 1 302 Share विवेक आस्तिक 20 Jan 2019 · 1 min read दुर्मिल सवैया छंद ----दुर्मिल सवैया छंद ---- ...... रघुनाथ कहें समुझाइ सिया न चलौ तुम संग कछारिन मा। वन जीव भयंकर प्राणप्रिये! मग कंकर झार पहारिन मा। पति संग न दुःख जु झेल... Hindi · कविता 323 Share विवेक आस्तिक 25 Jan 2017 · 1 min read दुर्मिल सवैया छन्द/// मनमोहिनि मूरति देखि रही मटकी झटकी पटकी धरनी खटकी हिय मा दधि धार बही। तब खीझि गई बृषभानु लली झट जाइ यशोमति बात कही। पर पावन प्रेम गुँथी अइसी विपरीत भई उर पीर सही।... Hindi · कविता 539 Share विवेक आस्तिक 22 Jan 2017 · 2 min read ---- ----------"भानू"-------(लघुकथा) भानू ........... भानु.......... शायद आप भानु सूरज को समझ रहे होंगे लेकिन ऐसा नहीं हाँ इसे कभी उगता सूरज मान सकते थे? ये भानू और कोई नहीं मेरे ही... Hindi · लघु कथा 436 Share विवेक आस्तिक 5 Jan 2017 · 1 min read बेटा लेकर घूमता ( हास्य व्यंग ) ----- हास्य व्यंग-----2/7/16 मैया भूखी मर रही,बप्पा भी बेहाल । बेटा लेकर घूमता, बीबी नैनीताल । बीबी नैनीताल , पहन भड़कीली साड़ी। पीछे -पीछे नाथ, फिर रहे बने अनाड़ी ।।... Hindi · कुण्डलिया 281 Share विवेक आस्तिक 5 Jan 2017 · 1 min read कहीं लुटती शीला मुन्नी कहीं बदनाम होती है भरी महफिल में' जा देखो जाम की शाम होती हैं । यहाँ लिव इन रिलेशनशिप की बात कुछ आम होती है। सुनो फिल्मों ने भी' तोड़ा है यारों दायरा अपना... Hindi · मुक्तक 270 Share विवेक आस्तिक 5 Jan 2017 · 1 min read वही पल - पल सताता है जिसे जितना भुलाता हूँ बेवफा थी मगर उसके घर तक गया । मानकर प्रेम पावन शिखर तक गया । वो न समझी तो' इसमे खता क्या मेरी, आस दिल में जगा साल भर तक... Hindi · मुक्तक 227 Share विवेक आस्तिक 4 Jan 2017 · 1 min read देख लो दोहे बिहारी के सभी जीवंत हैं शब्द संयोजन, अटल आधार होना चाहिए । कम सही,थोथा नहीं,कुछ सार होना चाहिए । देख लो दोहे बिहारी के सभी जीवंत हैं, जो लिखो दिल से वो' दिल के पार... Hindi · मुक्तक 392 Share विवेक आस्तिक 3 Jan 2017 · 1 min read नवबर्ष गीत गीत - - - - - - - - ---'''-------- नवबर्ष का इस तरह आधार हो । प्यार ही बस प्यार ही बस प्यार हो । ••••••••••••••••• पुष्प, चन्दन की... Hindi · गीत 445 Share विवेक आस्तिक 3 Jan 2017 · 1 min read बसा परदेश में आकर अकेला छोड़कर माँ को (1)-दहल जाता हृदय हरपल करारी पीर देती है । उदासी मुख पे ' छा जाती नयन भर नीर देती है । बसा परदेश में आकर अकेला छोड़कर माँ को, सताती... Hindi · मुक्तक 354 Share