विनय कुशवाहा 'विश्वासी' Tag: कुण्डलिया 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 21 Apr 2020 · 1 min read योजनायें योजनायें भले बनी, देखो कई हजार। रहते हैं फिर भी अभी,गरीब बन लाचार। गरीब बन लाचार,उनकी न कोई सुनता। सभी बने बेदर्द, दुख कोई नहीं हरता। लाख करें वे जतन,... Hindi · कुण्डलिया 2 354 Share