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भरी आँखे हमारी दर्द सारे कह रही हैं।
शिल्पी सिंह बघेल
भाव पौध जब मन में उपजे, शब्द पिटारा मिल जाए।
शिल्पी सिंह बघेल
न मुमकिन है ख़ुद का घरौंदा मिटाना
शिल्पी सिंह बघेल