उमेश बैरवा Tag: कविता 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid उमेश बैरवा 12 Jun 2024 · 1 min read पिता का अभिमान बेटियाँ एक पिता का अभिमान होती है! कुल की शान कहीं जाती है! बेटियाँ घर की रौनक होती है! परिवार बढ़ाती है!बेटियाँ जिस तरह पुष्प की अभिलाषा होती है! उसी तरह... Hindi · कविता 2 64 Share उमेश बैरवा 10 Jun 2024 · 1 min read -:मजबूर पिता:- बेटा समय पर नहीं आता घर तो बोल नहीं पाता हुँ! में क्योंकि मजबूर पिता हुँ! में बेटा पेट भर नहीं खाता तो खाना नहीं खा पाता हुँ! में क्योंकि... Hindi · कविता 2 109 Share उमेश बैरवा 22 May 2022 · 1 min read बिना मिले बिना मिले अंदाजा मत लगाना बिना सुने किसीकी बातें मत बनाना अरे किसको पता अरे किसको पता कौन क्या है! यह किसी को मत बताना रहने दो कुछ बातें अपनी... Hindi · कविता 2 307 Share उमेश बैरवा 12 May 2022 · 1 min read मेरा पेड़ कुछ समय पहले में कुछ बीज मैं लाया था अपने घर के आंगन में बीज को लगाया था बच्चों जैसे पाला पानी देकर बढ़ाया उसको बढ़ा हुआ जब वह उसने... Hindi · कविता 1 382 Share उमेश बैरवा 5 Dec 2021 · 1 min read जन्म दिवस की बधाई संतोष मन में तेरे क्रांति और चेहरे पर भी ओज है! मन तेरा शांत है! ना तू देखता किसी मैं दोष है! चला जा रहा तू निरंतर क्रांति के पथ पर... Hindi · कविता 1 480 Share उमेश बैरवा 30 Nov 2021 · 1 min read एक माँ का अरमान एक माँ अपने बच्चे को बचपन में कहती पढ़ लिखकर बेटा तू जल्दी से बड़ा हो जा तुझको डॉक्टर मैं बनाऊंगी! एक माँ अपने बच्चे को बचपन में कहती पढ़... Hindi · कविता 2 1 378 Share उमेश बैरवा 29 Nov 2021 · 1 min read इम्तिहान मत ले ए जिंदगी तु इतना इम्तिहान मेरा! चले जाऊंगा नहीं तो एक दिन सबकुछ छोड़कर कुछ नहीं तु कर पाएगी मेरा! तू भी परेशान होती रहेगी मेरे जाने से... Hindi · कविता 3 2 299 Share उमेश बैरवा 28 Nov 2021 · 1 min read राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले महाराष्ट्र राज्य में जन्मे थे माता पिता के प्यारे थे! बचपन से ही तर्कशील वैचारिक क्रांति वाले थे! बचपन में ही ब्याह हुआ और वह किस्मत वाले थे! उन्हें मिली... Hindi · कविता 3 2 497 Share उमेश बैरवा 25 Nov 2021 · 1 min read मृत्यु भोज जीवन भर मैंने जो कमाया है उसे यूं ना गवाना बेटा ना हो तेरे पास में तो कर्जा मत करना बेटा मैं जब भी मर जाऊं मृत्यु भोज मत करना... Hindi · कविता 2 4 529 Share उमेश बैरवा 23 Nov 2021 · 1 min read पीहर सुबह सवेरे उठती हूं तो याद पीहर की आती है! मां की ममता पिता की आवाज बहुत आती है!! जब भी लगती हूं सुबह सवेरे घर के काम पर! घर... Hindi · कविता 2 2 574 Share उमेश बैरवा 19 Nov 2021 · 1 min read मजदूर सुबह उठे जब घर पर सिर्फ चाय ही सहारा था! भरने पापी पेट को सिर्फ काम ही सहारा था! जैसे पहुंचे मजदूर चौक पर मजदूरों ने अपना डेरा जमाया था!... Hindi · कविता 1 534 Share उमेश बैरवा 17 Nov 2021 · 1 min read जनाजा उठ रहा जनाजा तब खामोश होंगे लोग कुछ अच्छा किया होगा तभी तो रो रहे होंगे लोग!! हो जाऊंगा सुप्रदे खाक तब भी बतिया रहे होंगे लोग!! कुछ तो बात... Hindi · कविता 2 2 495 Share उमेश बैरवा 13 Nov 2021 · 1 min read तू चल थक मत तू चल तू चल थक मत थक मत! हिम्मत बड़ा और कोशिश पूरी कर!! याद कर उन मां के पैरों के छालों को! भूखा पेट और सिसकती रातों को!! उलझन... Hindi · कविता 1 314 Share उमेश बैरवा 12 Nov 2021 · 1 min read सुबह सवेरे उड़कर पंछी सुबह सवेरे उड़कर पंछी दाना चुगने जाते हैं! शाम होते ही अपने घर को आते हैं! चिंता रहती उनको अपने बच्चों की कुछ बीमार और कुछ अपनों की खुद खाएं... Hindi · कविता 2 204 Share