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तुम धूप में होंगी , मैं छाव बनूंगा !
The_dk_poetry
मेरे शहर बयाना में भाती भाती के लोग है
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हां मैं हस्ता हू पर खुश नहीं
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मजबूरी
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कृष्ण सा हैं प्रेम मेरा
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प्रिय
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क्या पता मैं शून्य न हो जाऊं
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शून्य से अनंत
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