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गिरफ्त में रहे
Kumar lalit
घर
Kumar lalit
घरवार लुटा है मेरा
Kumar lalit
पूनम का चांद हो
Kumar lalit
बातों में मिठास
Kumar lalit
बात बराबर हैं
Kumar lalit
जमाना गया
Kumar lalit
याद है पास बिठा के कुछ बाते बताई थी तुम्हे
Kumar lalit
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
Kumar lalit
आसान नही सिर्फ सुनके किसी का किरदार आंकना
Kumar lalit
मोहब्बत जताई गई, इश्क फरमाया गया
Kumar lalit
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
मिलते तो बहुत है हमे भी चाहने वाले
Kumar lalit
काश तुम मिले ना होते तो ये हाल हमारा ना होता
Kumar lalit
ढूंढा तुम्हे दरबदर, मांगा मंदिर मस्जिद मजार में
Kumar lalit
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
Kumar lalit
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
Kumar lalit
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
Kumar lalit
बेवजह किसी पे मरता कौन है
Kumar lalit
दुखता बहुत है, जब कोई छोड़ के जाता है
Kumar lalit
प्यार दर्द तकलीफ सब बाकी है
Kumar lalit
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
Kumar lalit
Yaade tumhari satane lagi h
Kumar lalit
Kabhi jo dard ki dawa hua krta tha
Kumar lalit
Hasta hai Chehra, Dil Rota bahut h
Kumar lalit
Kisne kaha Maut sirf ek baar aati h
Kumar lalit
Tumhe Pakar Jane Kya Kya Socha Tha
Kumar lalit
छोड़ गया था ना तू, तो अब क्यू आया है
Kumar lalit
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
Kumar lalit
आज तुझे देख के मेरा बहम टूट गया
Kumar lalit
क्या क्या बताए कितने सितम किए तुमने
Kumar lalit
हाल ऐसा की खुद पे तरस आता है
Kumar lalit
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
Kumar lalit
तुझे खुश देखना चाहता था
Kumar lalit
तू जो कहती प्यार से मैं खुशी खुशी कर जाता
Kumar lalit
तुमसे मिलना इतना खुशनुमा सा था
Kumar lalit