Tarkeshwari 'sudhi' Language: Hindi 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Tarkeshwari 'sudhi' 21 Feb 2024 · 1 min read यादें दूब-सी फैली हैं जेहन में जड़ जमाकर गहराई में उखाड़ फेंकती हूँ जला देती हूँ रौंद भी देती हूं निष्ठुर बनकर मगर फिर सिर उठा लेती हैं कुछ वक़्त के... Poetry Writing Challenge-2 137 Share