SURYA PRAKASH SHARMA Tag: अकविता। 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid SURYA PRAKASH SHARMA 4 Jul 2024 · 1 min read जातियों में बँटा हुआ देश जातियों में बँटा हुआ देश गठ्ठर से अलग हुई उन लकड़ियों जैसा है जिन्हें कोई भी चाहे तब तोड़ सकता है बिना किसी परेशानी के । लेकिन हरेक लकड़ी को... Hindi · अकविता। · अतुकांत · कविता · जाति जनगणना 2 455 Share SURYA PRAKASH SHARMA 31 May 2024 · 1 min read जोड़ियाँ देखकर के — लड़के की सरकारी नौकरी, अच्छा-सा मकान, गाँव में खेत-खलिहान, और लेकर के मनचाहा दहेज, अपनी मनपसन्द कार, और तमाम तरीके के उपहार, लड़के और लड़की वाले कहते... Hindi · अकविता। · समकालीन कविता 2 264 Share SURYA PRAKASH SHARMA 31 May 2024 · 1 min read इंसानियत की लाश आज देश में इंसानियत की लाश एक कोने में पड़ी सड़ रही है । नेता लगातार जनता को आपस में लड़ा रहे हैं, और बेवकूफ़ जनता – आपस में लड़... Poetry Writing Challenge-3 · Best Poem · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · अकविता। 2 272 Share SURYA PRAKASH SHARMA 30 May 2024 · 1 min read ज़िन्दगी जिंदगी को गहराई से समझना चाहा, तो सवाल ये उठा कि — क्या ज़िन्दगी पैदा होने से लेकर पढ़ाई करने, नौकरी लेने, शादी करने, बच्चे पैदा करने, और मर जाने... Poetry Writing Challenge-3 · Life · अकविता। · जिंदगी एक पहेली 1 710 Share SURYA PRAKASH SHARMA 29 Mar 2024 · 1 min read मैंने एक दिन खुद से सवाल किया — मैंने एक दिन खुद से सवाल किया — सांसद या विधायक बनने के लिए अपने क्षेत्र में कितना विकास करने की आवश्यकता है । क्या अपने क्षेत्र में सुननी होगी... Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · अकविता। · गंदी राजनीति 1 813 Share SURYA PRAKASH SHARMA 19 Mar 2024 · 1 min read भावी युद्ध ... बुर्जुआ बना रहे हैं सर्वहारा को खत्म करने की योजना इसीलिए लगातार सबकी नौकरी खाने के लिए रोबोट बनाए जा रहे हैं । किसी भी आंदोलन को खत्म करने के... Hindi · Hindi Kavita · अकविता। · कविता · रोबोट 1 239 Share SURYA PRAKASH SHARMA 13 Aug 2023 · 1 min read आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है जिसे हम पिछले सात दशकों से सुनते आ रहे हैं । लेकिन वास्तव में — भारत कभी आज़ाद हुआ ही नहीं । अगर मैं... Happy Independence Day · Quote Writer · अकविता। · कविता की भूमिका 1 603 Share SURYA PRAKASH SHARMA 21 May 2023 · 1 min read आज देश में इंसानियत की लाश आज देश में इंसानियत की लाश एक कोने में पड़ी सड़ रही है । नेता लगातार जनता को आपस में लड़ा रहे हैं, और बेवकूफ़ जनता – आपस में लड़... Poetry Writing Challenge · Best Poem · Hindi Kavita · अकविता। · कविता 1 330 Share