suresh chand 6 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid suresh chand 2 Sep 2016 · 1 min read हम उन्हें अच्छे नहीं लगते (कविता) इस शस्य श्यामला भारत भूमि की हर चीज उन्हें अच्छी लगती है नदी, झरने, ताल-तलैया, सब कुछ.... पीले-पीले सरसों हों या बौर से लदी अमरायी या फिर हमारे खून पसीने... Hindi · कविता 384 Share suresh chand 30 Aug 2016 · 2 min read गरीब का दुःख (कविता) गरीब के श्रम से बनी है दुनिया और उनके दुःख से चलती है देश की अर्थव्यवस्था जहाँ बिकती है हर चीज मुनाफा के लिए स्त्री का तन इंसान का गुर्दा... Hindi · कविता 5k Share suresh chand 30 Aug 2016 · 2 min read बेटी- तीन कवितायें (एक) बेटी सबसे कीमती होती है अपने माँ-बाप के लिए जब तक वह घर में होती है उसकी खिलखिलाहट पूरे घर को सँवारती रहती हैं लेकिन जैसे ही उसके पैर... Hindi · कविता 601 Share suresh chand 28 Aug 2016 · 1 min read हिन्दी जन की बोली है (गीत) हिन्दी जन की बोली है हम सब की हमजोली है खेत और खलिहान की बातें अपने घर संसार की बातें उत्तर-दक्षिण फर्क मिटाती करती केवल प्यार की बातें हर... Hindi · गीत 1 807 Share suresh chand 28 Aug 2016 · 1 min read ओ काली घटा (गीत) ओ काली घटा मेरे आँगन आ तू मेरी सहेली बन जा रे ! है सूखी धरती, प्यासी धरती धरती सूख कर हो गयी परती इस परती में रिमझिम-रिमझिम प्यार के... Hindi · गीत 403 Share suresh chand 28 Aug 2016 · 1 min read एक गीत लाया हूँ मैं अपने गाँव से (गीत ) एक गीत लाया हूँ मैं अपने गाँव से। धूल भरी पगडण्डी पीपल की छाँव से। शब्दों में इसकी थोड़ी ठिठोली है भौजी ननदिया की यह हमजोली है 'माई' के प्यार... Hindi · गीत 306 Share