Sûrëkhâ 52 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Sûrëkhâ 14 Jun 2023 · 1 min read बूढ़ी मां *बूढ़ी मां* जब सांसे मेरी चलती थी तो तेरा रवैया कुछ और था एक रोटी के टुकड़े के खातिर तूने दिया मुझे झंझोड़ था। एक गिलास पानी पिलाने के कारण... Poetry Writing Challenge · कविता · बूढ़ापा · मां · मां की अभिलाषा · मां मानवता 6 3 758 Share Sûrëkhâ 14 Jun 2023 · 1 min read चुप रहो *चुप रहो* मां हमेशा झड़कती थी...चुप रहो बच्ची ज्यादा नहीं बोलते। थोड़ी सी बड़ी हुई तो... थोड़ी सी बड़ी हुई तो मां फटकार लगाती चुप रहो बड़ी हो रही हो... Poetry Writing Challenge · कविता · चुप · भारतीय महिला · महिला सशक्तिकरण · लिंग भेद 7 4 684 Share Previous Page 2