sudha Singh 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid sudha Singh 7 Jun 2016 · 1 min read ख्वाब पढ़ रही थी एक किताब , खोई थी मैं उसी जहाँ में ! कोई समझ न पाया, क्या बुन रही थी मैं ख्वाब में! सामने थे टूटे ख्वाबों के ढेर... Hindi · कविता 1 1 695 Share sudha Singh 7 Jun 2016 · 1 min read गर्मी सूर्य दहकता आग सा है, धरती जलती तवे सी! इस गरमी के आगे, फेल हुए कुलर -ए.सी! दिन के तपन के बाद जब संध्या बेला आई! ठंडक तन में लिपट-लिपट,... Hindi · कविता 1 700 Share sudha Singh 7 Jun 2016 · 1 min read जल धरा निर्जल सूखा गंगा जल प्यासा मन दुःख भरा कल!! Hindi · कविता 515 Share sudha Singh 7 Jun 2016 · 1 min read स्त्री स्त्री है ये थक नहीं सकती है ये रुक नहीं सकती है ये आये जो कोई बाँधा तो झुक नहीं सकती है ये स्त्री है ये!! जो हमेशा ताप दे... Hindi · कविता 670 Share