Shyam kumar kolare Tag: कविता 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shyam kumar kolare 30 Nov 2022 · 1 min read लाचार बचपन छोटी हूँ साहब अभी नादान हूँ, पढ़ाई क्या है इससे अनजान हूँ, अभी अभी पता चला है कि, स्कूल में पढ़ाई कराई जाती है, शिक्षा ज्योत वहाँ जलाई जाती है,... Hindi · कविता · कुण्डलिया 194 Share Shyam kumar kolare 11 Nov 2022 · 1 min read जीवन की अनसुलझी राहें !!! न जाने कैसी धुंध में हम आज घिर गए जाना था घर अपने कही और निकल गए क्या हुआ जीवन में क्या आंधी निकल गयी उड़ गया सब कुछ, पूँजी... Hindi · कविता · गीतिका 220 Share Shyam kumar kolare 28 Jan 2022 · 2 min read कविता- कलम की व्यथा आज कलम चलते-चलते रुक गई अपनी व्यथा से खुद सिसक गई अपने भाग्य को देख मजबूर वो अपने दमन में ही सिमट गई। अश्रु भरे स्वर से टेरती रही कोई... Hindi · कविता 340 Share Shyam kumar kolare 10 Nov 2021 · 1 min read बेटियाँ बचपन से प्यार दुलार में,पली बढ़ी मैं बेटी हूँ बाबा की आँखों का तारा,बनकर मैं रहती हूँ। नित नया जीवन में , उड़ान भर कर आई हूँ बाबा तेरे भरोसा... Hindi · कविता 414 Share Shyam kumar kolare 27 Oct 2021 · 1 min read कविता - लिवाज लिवाजो की चमक-दमक, इसमे सब शान ढूंढ़ते है कीमती लिवाजो में अक्सर, खुद की पहचान ढूढ़ते है। इंसान लिवाज से नही, क़ाबलियत से जाना जाता है हुनर ज्ञान ही उसे... Hindi · कविता 1 1 284 Share Shyam kumar kolare 4 Oct 2021 · 1 min read काँपते हाथ की लाठी वो झुका हुआ कमजोर कंधा, धुंधली सी असहाय निगाहें, वो कांपते हुए मजबूर हाथ, लिये हुए लाठी का साथ। निहार रहे किसी अपनों को, वो मन में दबे सैकड़ों जस्बात,... Hindi · कविता 2 1 283 Share Shyam kumar kolare 25 Sep 2021 · 1 min read जीवन संगनी जीवन में संगनी का पग, बड़ा कमाल कर जाता है सूने जीवन में जैसे, बसंत लेकर आता है चार पगों में दुनिया स्थिर, तीव्र वेग सह जाता है जीवन का... Hindi · कविता 1 507 Share Shyam kumar kolare 2 Sep 2021 · 1 min read ज्ञान के शिल्पकार- शिक्षक अबोध मन जड़ बुद्धि को, ज्ञान सींचकर बड़ा किया गीली मिट्टी थाप-थापकर, सुन्दर सुद्रण रूप दिया । था बिलकुल मैं कोरा कागज, सुन्दर लेख से पूर्ण किया ज्ञान विज्ञान संस्कार... Hindi · कविता 3 232 Share Shyam kumar kolare 26 Aug 2021 · 1 min read भूखा न हो कोई उदर हे दिखावा के पुजारी, तेरा हृदय कम्पित नही कान तुम्हारे बंद है, सिसकियाँ क्यों सुनते नही बंद हुई आँखे क्यों, दौलत के इस भार से कर क्यों न उठ रहा,... Hindi · कविता 3 1 336 Share