शिव मोहन यादव 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid शिव मोहन यादव 14 Feb 2017 · 1 min read बंदर एवं भालू बंदर एवं भालू उछल-कूद कर बंदर आया, घूम-घाम कर भालू। बोले सब्जी-मंडी चलकर, ले लें थोड़े आलू। मण्डी में झगड़े के कारण, छूटी एक दुनालू। पूँछ पकड़कर बंदर भागा, हाथ... Hindi · कविता 549 Share शिव मोहन यादव 16 Apr 2017 · 1 min read फिर भी ये दिल रीता है ग़ज़ल मापनी 22-22-22-2 हर दुख हमने जीता है, फिर भी ये दिल रीता है! जब भी सच पर चलते हैं, लगता तुरत पलीता है! करते-करते जग सेवा, सारा जीवन बीता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 537 Share शिव मोहन यादव 14 Feb 2017 · 1 min read होली की चौपाल बंदर के घर लगी हुई थी, होली की चौपाल, सभी जानवर मस्ती में थे, उड़ने लगा गुलाल! ऊंचे स्वर में आज गधे ने, गाई लम्बी फाग। भालू दादा ढोलक लेकर,... Hindi · कविता 462 Share शिव मोहन यादव 3 Mar 2017 · 1 min read गज़ल गज़ल साथ तुमने दिया तो संवर जाएंगे। हम मुहब्बत में हद से गुज़र जाएंगे। गर जो थामा है दामन तो ये सोच लो, तुमने छोड़ा तो सचमुच बिखर जाएंगे। मुश्किलों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 434 Share शिव मोहन यादव 16 Feb 2017 · 1 min read ??गज़ल?? मापनी 1222 1222 बड़ी मुश्किल से पाला था वो मेरा था, निराला था उसे कण-कण बचाकर के फ़क़त मैंने संभाला था बहुत महफूज़ रक्खा था वही अमृत का प्याला था... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 204 Share