shivank 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid shivank 16 Aug 2018 · 1 min read आधुनिकता सुबह से शाम तक यूँ ही चले जा रहे हैं निरुद्देश्य निश्चिंत ऐसा नही है कि उद्देश्य न हो यहाँ तो उद्देश्य है फिर भी निरुद्देश्य है चिंता है भविष्य... Hindi · कविता 1 341 Share