Shivalik Awasthi 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shivalik Awasthi 31 Jul 2021 · 44 min read अकेलापन : "एक संघर्षपूर्ण जीवन" "मुबारक हो! मैडम अवस्थी।" भला ऐसे ही थोड़े एडमिशन मिल जाता है कॉलेज में, वो भी पंजाब (जालंधर) के अच्छे कॉलेज में। यह तो शिवा की अच्छी किस्मत है जो... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 451 Share Shivalik Awasthi 31 Jul 2021 · 10 min read "पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया" "अरी ओ मिठु" कहाँ गई? ना जाने कहाँ भागी रहती है यह लड़की भी? "किरण", क्या तुमने मिठु को देखा? ना जाने, कहाँ गई होगी? आप, क्यों इतना मिठु के... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 1 867 Share Shivalik Awasthi 31 Jul 2021 · 21 min read "एक बड़ा प्लॉट - एक बड़ी दुकान" शहर से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है "अश्वनी लाल" जी का छोटा सा-प्यारा सा गाँव नगरपुर। संसाधनों की उचित व्यवस्थाओं के अभाव से, यह गाँव उतना विकसित... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 653 Share Shivalik Awasthi 31 Jul 2021 · 5 min read सावन की बारिश और सीख "सावन" के आने पर हर कोई खुशी से झूम उठता है! फिर चाहे वे पशु-पक्षी हों या फिर मानव; हर कोई चौतरफा हरियाली देखकर बहुत प्रसन्न होता है। अब जब... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 8 520 Share Shivalik Awasthi 8 Mar 2019 · 1 min read "हाँ वो एक नारी है" आने से ही सौभाग्य आए, हाँ वो एक नारी है । बचपन से ही रौनक लाए, हाँ वो एक नारी है । जो माँ-बाप की जान कहलाए, हाँ वो एक... Hindi · कविता 1 295 Share Shivalik Awasthi 4 Mar 2019 · 1 min read भक्ति की प्यास - भोले से अरदास चहक उठा परिवेश है सारा, कैसी सुबह यह प्यारी है । कदम चलें खुद शिव की भूमि, किस्मत ख़ूब सँवारी है ।। सज गए हैं दरबार भी देखो, गूंज उठे... Hindi · कविता 1 471 Share Shivalik Awasthi 10 Feb 2019 · 1 min read ऋतु वसन्त जो आई फिर ली करवट मौसम ने यूँ, गूँज उठा जग सारा है । दस्तक दी ऐसी मनमोहक, वाह क्या ख़ूब नज़ारा है ।। बीते कुछ दिन पिछले मानो, छिपे कहीं हम... Hindi · कविता 2 435 Share Shivalik Awasthi 13 Jan 2019 · 2 min read एकता का पर्व लोहड़ी। आ, गई जी लोहड़ी फिर से, जश्न को सब तैयार हैं । नए वर्ष के प्रथम पर्व से, भरे हुए बाज़ार हैं ।। चौतरफ़ा है रंगत बिखरी, चहक उठा परिवेश... Hindi · कविता 1 568 Share Shivalik Awasthi 1 Nov 2018 · 1 min read *एक कविता "माँ" को समर्पित* जग में था जब जन्म लिया तब खूब मुझे सहलाया था । जीवन का कुछ पता नहीं उस आँचल में सुख पाया था ।। पहली दफा जब उसे पुकारा माँ... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 20 799 Share