Shiva Awasthi Tag: कविता 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shiva Awasthi 8 Jul 2024 · 1 min read कविता मैं उसे बताना चाहती थी कि नागफणियों में फूल आते हैं विषधर प्रेम करते हैं सूखे पेड़ों पर काई खिलती है सफ़ेद आभा के मूल में समस्त रंग होते हैं... Hindi · कविता · जीवन · दर्शन 2 1 97 Share Shiva Awasthi 8 Jul 2024 · 1 min read कविता लड़कियों को पढ़ने देते हुए चाहा गया कि वे सिर्फ पढ़ें किन्तु वे लिखने भी लग गईं लिखने वाली लड़कियों से चाहा गया कि लिखें देश प्रेम, भक्ति गीत किन्तु... Hindi · कविता · प्रेम · लड़कियां · समाज 63 Share Shiva Awasthi 9 Feb 2024 · 2 min read कविता आज सुबह जब छत पर पहुंची लगभग ग्यारह पांच हुआ था और सामने वाली छत पर पंद्रह कपड़े पड़े हुए थे मेरी छत के आसमान में तैर रहीं थी आठ... Hindi · एकांत · कविता · प्रतिक्षा · प्रेम 1 157 Share Shiva Awasthi 1 Jul 2023 · 1 min read कविता आँगन में घुटनों को मोड़े हत्या लगे व्यक्ति सी बैठी, है उसकी माँ, जिसकी बेटी भाग गई है। बोझ बन चुके प्रश्न सभी के, दो आँखों से निचुड रहें हैं।... Hindi · कविता · दोगलापन · न्याय वाद · प्रश्न · समाज 1 452 Share Shiva Awasthi 5 Jun 2023 · 1 min read कविता उस दिन, मैं टेक लगाए बैठी थी और वो, आकर मेरे पैरों से अपना चेहरा सटाकर लेट गया। उसकी गर्म हथेलियों ने मेरे दोनों पंजों को नर्मी से छुआ मेरे... Hindi · कविता · दर्शन · प्रेम 4 290 Share Shiva Awasthi 5 Jun 2023 · 1 min read कविता// घास के फूल नदी कभी जी भर नहीं नहाई गई, गहराई और मृत्यु के भय से। जबकि, मृत्यु किनारे पर भी थी। जमीन पर भी। कितना समय लगता है, एक हृदयाघात में ?... Hindi · कविता · जीवन · दर्शन · प्रेम · मृत्यु 2 307 Share Shiva Awasthi 4 Apr 2023 · 1 min read इस छोर से..... इस छोर से उस कोने तक, जो खामोशी सी पसरी है। अनकही, अनछुई कुछ बातें, मानस में कुछ - कुछ उभरी हैं। एक शून्य बाँधकर नयन डोर उतरा करता है... Hindi · कविता · शिवा कवित्त · हिंदी कविता 2 315 Share Shiva Awasthi 24 Mar 2023 · 1 min read गीत क्या हारे अंतरयुद्ध एक, खुद से ही रहे भागते हम। बन गए निशाचर कब जाने, आँखों में रात काटते हम! पहले जब आँख उनींदी हो, जगने की वजह पूछते थे।... Hindi · कविता · गीत · शिवराग 1 453 Share Shiva Awasthi 13 Sep 2022 · 1 min read इस छोर से उस कोने तक इस छोर से उस कोने तक, जो खामोशी सी पसरी है। अनकही, अनछुई कुछ बातें, मानस में कुछ - कुछ उभरी हैं। एक शून्य बाँधकर नयन डोर उतरा करता है... Hindi · अनिश्चितता · कविता · प्रतीक्षा · प्रेम 4 267 Share Shiva Awasthi 14 Jul 2022 · 1 min read प्रयोजन मैं चाहती हूं, अगले जन्म में - भगवान मुझे पेड़ बनाए। किसी एकांत में खड़ा एक कम खुरदुरे तने वाला पेड़। जिसे हारे हुए प्रेमी कसकर गले लगा सकें। और... Hindi · कविता 4 1 357 Share