Shikkha Sharrma 6 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shikkha Sharrma 9 Mar 2019 · 1 min read नारी तू नारायणी तू नारी तू नारायणी तू धरा दुःख धारिणी तू जननी तू जनपालक तू योग्य कष्ट निवारक तू अबला तू सबला तू लक्ष्मीरूप गृहशोभा गृहणी तू काली तू चंडी तू सती, सीता... Hindi · कविता 1 1 433 Share Shikkha Sharrma 27 Jan 2019 · 1 min read दूरियां दूरियों में भी नज़दीकियां होती हैं प्यार की बारीकियां होती हैं जो सामने न कह पाते कभी अक्सर बयां कर जाती हैं दूरियां दूरियों में फासले हैं फासलों में फ़लसफ़े... Hindi · कविता 1 1 494 Share Shikkha Sharrma 30 Dec 2018 · 1 min read जनवरी फिर जवां हुई बूढ़ा दिसम्बर जवां जनवरी के कदमों मे बिछ रहा है लो, इक्कीसवीं सदी को उन्नीसवाँ साल लग रहा है अठारह पूरे कर अंगड़ाई लेकर ऐसे मचल रहा है जैसे चंचल... Hindi · कविता 3 1 242 Share Shikkha Sharrma 8 Dec 2018 · 1 min read तुम्हारे नाम लिख रही हूं एक और कविता तुम्हारे नाम शाम की स्याही से दिल की गहराई से, एक मीठी याद अपनी, बीते पल की जुदाई से। खुल रहे है दूरियों के... Hindi · कविता 1 1 298 Share Shikkha Sharrma 2 Dec 2018 · 1 min read मैं रात अकेली विषाद पड़ी रात सुनसान काली गहरी घनी काली अकेली दिन की रौनक से बस ! कुछ पहर दूर ख़ामोशी और तन्हाई से लिपटी सन्नाटे में मजबूर बार-बार झांकती अंधेरे की... Hindi · कविता 3 1 359 Share Shikkha Sharrma 30 Nov 2018 · 1 min read माँ धुंए की तरह उड़ा दे सारी परेशानियां "माँ" की इस कदर बरसती है मेहरबानियां बार-बार निहारने के बाद खुद पर वहम करे माँ" काला टीका लगाकर नज़र उतारने के सौ-सौ... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 21 570 Share