Mugdha shiddharth 841 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mugdha shiddharth 14 Jan 2021 · 1 min read गले लगाने के लिए तू आ मैं थी कभी सहाराओं में उड़ती हुई तितली सी मेरे पंख अब कट गए गले लगाने के लिए तू आ जिस चाॅंद के अक्स में हर रात दिखता है मुझे... Hindi · शेर 8 5 602 Share Mugdha shiddharth 14 Jan 2021 · 1 min read मैं डूब गई थी रात ख्वाब के दरिया में मैं डूब गई थी रात ख्वाब के दरिया में किसी ने पलट कर देखा ही नहीं दरिया में कोई रस्सी लाओ लाश निकालो सड न जाए लाश कहीं दरिया में... Hindi · कविता 7 2 575 Share Mugdha shiddharth 14 Jan 2021 · 1 min read खाली टूटे बर्तन खाली टूटे बर्तनों को मैंने हमेशा गमले का शक्ल दिया छोटे छोटे पेड़ लगाए और शहर में रह कर भी गांव का नकल किया मेरी इस आदत ने खाली जगहों... Hindi · कविता 7 1 538 Share Mugdha shiddharth 14 Jan 2021 · 1 min read सुबह की धूप सी वो लड़की कितनी तकलीफ में वो रही होगी सुलगती सी बात जाने किस तरह अपने प्राण से कही होगी रौंदा होगा किसी ने ख्वाब में ख्वाब उसके उसी के टीस में कुछ... Hindi · कविता 3 5 526 Share Mugdha shiddharth 16 Dec 2020 · 1 min read तज के अपने अहंकार को तज के अपने अहंकार को आवाज दो उस झंकार को बिन जिसके महल खंडर हुआ पुकार लो उस दिलदार को शम्स को गर कैद करोगे फिर तिमिर से गिला क्या... Hindi · कविता 5 1 899 Share Mugdha shiddharth 16 Dec 2020 · 1 min read क्या ही रोते हम क्या ही रोते हम, हमारे शहर में बचा न था कोई हंसाने वाला सब थे चुप तमाशाई की तरह कोई भी न था घर तक पहुंचाने वाला घर से निकल... Hindi · शेर 1 494 Share Mugdha shiddharth 15 Dec 2020 · 1 min read मन की सीमा न लांघूंगी मन के जिसको सारे रक्त दिए उसने ही मुझ को त्यक्त किए अब किसी को मैं क्या बांधूगी अब फिर मन की सीमा न लांघूंगी ? ~ सिद्धार्थ Hindi · मुक्तक 3 655 Share Mugdha shiddharth 15 Dec 2020 · 1 min read तुम देवता उठा लाए थे तुम देवता उठा लाए थे आदमियों में देवता का क्या काम देवताओं को पूजे जाने की चाहत भूख प्यास का उसे रहता कहां है भान देवता देवता के लिए ही... Hindi · कविता 1 1 496 Share Mugdha shiddharth 15 Dec 2020 · 1 min read चाय जैसी काॅफी पसंद करते हो तासीर मगर है चाय जैसी दामन से आ लगे हो, ठहर गए हो चाॅंद के दाग जैसी ~ सिद्धार्थ Hindi · शेर 1 439 Share Mugdha shiddharth 14 Dec 2020 · 1 min read भाड़ में जाओ तुम एक ही शख्स था दिल के सोहबत में ठोकरें लगी उसी के उल्फत में क्या तकल्लुफ करुं ये कहने में भाड़ में जाओ तुम, खुद ही संभलते हैं हम खल्वत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 629 Share Mugdha shiddharth 13 Dec 2020 · 1 min read चुप बैठ गया वो जो मुझको रोने चीखने के लिए बोलता था वो खुद आसमान में जाकर चुप बैठ गया आज ही हमने चुप्पी तोड़ी आज ही जाना सुनने वाला इस जहां को... Hindi · कविता 3 454 Share Mugdha shiddharth 13 Dec 2020 · 1 min read शेर उनकी गली की खाक में हम खाक हो गए उनको तरस न आई हम क्या थे क्या हो गए °°° छोड़कर जाने वालों ने पलट कर देखा ही नहीं हम... Hindi · शेर 3 421 Share Mugdha shiddharth 13 Dec 2020 · 1 min read दिल की दिलजोई न करेंगे मुश्किल है मगर अब हम दिल की दिलजोई न करेंगे नमनाक आंखों से हसेंगे छुप छुप के आहें भी भरेंगे कौन रोकेगा भला अब मुझ को इस दयार में हम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 426 Share Mugdha shiddharth 13 Dec 2020 · 1 min read वो भी उदास है रात के आंगन में आज पलकों की परियां उदास है चाॅंद जो उतरा है सर-ए-बाम आज वो भी उदास है वो जो कभी आता नहीं चैबारे में मेरे उसके आंगन... Hindi · शेर 3 723 Share Mugdha shiddharth 13 Dec 2020 · 1 min read दर्द का दवा मिले न मिले दर्द का दवा मिले न मिले चीखने को कोई ठीकाना तो हो दिल की सूनी गलियों में यारा एक अद्द तहखाना तो हो कितनी गलियां लांघ कर तेरे बन्द दरवाजे... Hindi · शेर 2 443 Share Mugdha shiddharth 12 Dec 2020 · 1 min read मैं एक दिन खुद को युधिष्ठिर मैं एक दिन खुद को युधिष्ठिर और अपने साहिबों को द्रोपदी करूंगी… और खोज के अरब देशों से लाऊंगी किसी दुर्जेय दुर्योधन को जिसका सुयोधन से संग साथ छूटे कई... Hindi · कविता 3 440 Share Mugdha shiddharth 9 Dec 2020 · 1 min read सुनो ... तुम मेरी जात पे सियासत अब न करो सुनो ... तुम मेरी जात पे सियासत अब न करो अपनी खून से हमने इस मीट्टी को सींचा है बैलों के साथ मिलकर हमने हल कंधे से खींचा है जब... Hindi · कविता 1 5 662 Share Mugdha shiddharth 9 Dec 2020 · 1 min read भटकती रात भटकती रात के सीने पे सर रखकर सारी रात जागूं मैं एक तेरे सिवा टूटते सीतारे से और क्या ही जाॅं मांगूं मैं ~ सिद्धार्थ उसने दिल्लगी में भी याद... Hindi · शेर 3 2 661 Share Mugdha shiddharth 9 Dec 2020 · 1 min read जानाॅं तुम्हें खोजते रहना और खुद को ही खो देना बस यही इक काम अब रह गया है मेरा जानाॅं सावन के अंधे को ज्यूॅं सब हरा हरा ही दिखता है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 479 Share Mugdha shiddharth 8 Dec 2020 · 1 min read जिस पय की हमें जरुर हो जिस पय की हमें जरुर हो वो पय हमारे सिरहाने होता यार कुछ और न होता बस एक मयखाना बीच दीवानखाने होता ... ? उसका लम्स मचलता यादों की पेशानी... Hindi · कविता 3 2 405 Share Mugdha shiddharth 7 Dec 2020 · 1 min read उम्र ने लकीरें खींच दी है वर्ना उम्र ने लकीरें खींच दी है वर्ना किसी दर पर हम भी देते धरना शीरीं-फरहाद रहे होंगे कभी कहीं, अरे हम भी खोद देते प्यार का एक झरना ~सिद्धार्थ Hindi · कविता 4 466 Share Mugdha shiddharth 7 Dec 2020 · 1 min read कोई क्यूॅं कर जंग करे दिल की तनहाइयों से कोई क्यूॅं कर जंग करे दिल का ये भी एक दिलकश रंग है इसे भी कोई क्यूॅं कर तंग करे हिज्र के बाहों में अकसर ही... Hindi · कविता 2 596 Share Mugdha shiddharth 7 Dec 2020 · 1 min read जानाॅं एक तुम्हारी याद और यह मांद चांद जानाॅं उसकी गवाही में ख़वाब हुए रेज़ा रेज़ा जानाॅं मैं कहां कहां से समेटूं यादों में कैसे कैद करुं पूरे के पूरे बिखरे... Hindi · कविता 583 Share Mugdha shiddharth 6 Dec 2020 · 1 min read मुक्तक बूंद दरिया का हो या के चश्म का जब से बिकने लगे हैं प्यास ... हर कंठ के घाट पे साहिब सिसकने ने लगे हैं ~ सिद्धार्थ Hindi · कविता 4 699 Share Mugdha shiddharth 4 Dec 2020 · 1 min read प्रेम पात्रता नहीं देखता ... प्रेम पात्रता नहीं देखता ... हृदय को जहां एक धक्का लगे और हृदय चीख कर कहे, यही तो है ... जिसके लिए मेरे हृदय में कोमल भावना हैं। जिसके लिए... Hindi · लेख 2 1 511 Share Mugdha shiddharth 4 Dec 2020 · 1 min read मेरी 'जाॅं' मेरी 'जाॅं' होना ना तुम उदास कभी उदासी छीन लेती है आस सभी मेरा छोड़ो, मैं दौर ए सुकूँ का राही नहीं शायद मैं भी लौटूं इस राह कभी ~... Hindi · मुक्तक 4 611 Share Mugdha shiddharth 4 Dec 2020 · 1 min read मुक्तक रातों के दलदल में न जाने कब मेरे नींद धंस गए हम जागते में भी तेरे ख़्वाबों के जंगल में फंसे गए जाने किस किस से कब तलक झूठ बोलेंगे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 535 Share Mugdha shiddharth 4 Dec 2020 · 1 min read दिल गुनहगार था दिल गुनहगार था ऑंखों ने सजा पाई मैं लैट आई थी ऑंखें जाने कैसे भूल आई तमाम रात उसी की याद में सिसकती रही ऑंखें मैं हाॅंथ उठा के आंसू... Hindi · कविता 1 555 Share Mugdha shiddharth 4 Dec 2020 · 1 min read दर्द बना है पैरहन मेरा दर्द बना है पैरहन मेरा चेहरा फक्क रहता है उसके ही ख़वाब बूनूंगा ऑंखें मुझ से कहता है पलट कर देखने भर की फुर्सत नहीं जिसको हाय ये दिल उसी... Hindi · कविता 1 391 Share Mugdha shiddharth 4 Dec 2020 · 1 min read छोड़ दूंगी तुम्हें भी छोड़ दूंगी तुम्हें भी जरा सांसों का साथ तो छूटने दो वो इक गली है जो मेरे दिल के अंदर बिखरा है जहां तेरे यादों का समंदर हर एक बूंद... Hindi · कविता 2 435 Share Page 1 Next