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मूलाधिकार
Shekhar Kumar
प्रतिज्ञा लेता हूँ मैं , कभी नहीं दुष्ट कार्य करूँ
Shekhar Kumar
प्रतिज्ञा हुई न भारी
Shekhar Kumar
अब का दौर नया आया हैं
Shekhar Kumar
वो मिल्खा ही था जिसनें, उड़न सिख का उपाधि पाया था
Shekhar Kumar
हर पंक्ति में मुस्कुरा जाऊ, ऐसे कविताएं देखें मैंने
Shekhar Kumar
अधूरे रिश्तों को, बनाओ न
Shekhar Kumar
बरसाती पूजा
Shekhar Kumar
काम-धाम में मगन पाया
Shekhar Kumar
जब बारिश की बूंदें, धरातल को चूमती हैं
Shekhar Kumar
अभी उम्र ही क्या है मेरी
Shekhar Kumar
ये कितनी हसीन बरसात हुई
Shekhar Kumar
मौसम खिला हैं, बरसात आओ न
Shekhar Kumar
हर पल डरता हैं लड़का
Shekhar Kumar
थोड़ा थोड़ा लिखना चाहता हूँ मैं
Shekhar Kumar