Sheela Gahlawat Seerat Tag: ग़ज़ल/गीतिका 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sheela Gahlawat Seerat 17 Aug 2021 · 1 min read महफ़िल वो महफ़िल में आते हैं दीप तभी जल जाते हैं औरों की छोडो़ भी बात खुद पर ईमां लाते हैं वक्त के ये मंजर भी देखो अदभुत खेल खिलाते हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 553 Share Sheela Gahlawat Seerat 13 Aug 2021 · 1 min read आंगन आसमान से बरसे हैं घन पुलकित होता मेरा तन-मन जबसे बारिश नाची आकर हरा-भरा है मेरा आँगन वर्षा-सावन अच्छे लगते कब भाता आँखों का सावन शीला गहलावत सीरत चण्डीगढ़, हरियाणा Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 459 Share Sheela Gahlawat Seerat 12 Aug 2021 · 1 min read फूल हवा में तैर उठें ऐसी ही तू कोशिश कर दिल में यार रिहाइश कर फूल हवा में तैर उठें खुशबू की तू बारिश कर दिल का फ़ीता लेकर तू उल्फ़त की पैमाइश कर फ़स्ल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 450 Share Sheela Gahlawat Seerat 11 Aug 2021 · 1 min read फिरे ठाली घर बसाया, है सज़ाने दीजिये चहचहाने, खिलखिलाने दीजिये हाथ हैं खाली फिरे ठाली यहाँ जिन्दगी को आजमाने दीजिये ये खुशी का शोर काटे है मुझे चैन से कुछ पल बिताने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 654 Share Sheela Gahlawat Seerat 9 Aug 2021 · 1 min read खेत आली रोटी घणी याद आवैं वे खेत आळी रोटी आम के अचार की फाड़ मोटी मोटी हम बहुत साथ खेले,बहुत देखे मेळे बहुत याद आवैं सैं वो दोस्तां के रेळे बचपन सुहाना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 340 Share Sheela Gahlawat Seerat 1 Aug 2021 · 1 min read आंख्या का तारा ग़ज़ल (हरियाणवी ) चौगरदे तै घेरया था करया बीर को बेरा था सबतै न्यारा होया करै स्हारा होया भतेरा था साच्ची बात बताऊँ भीड़ पडै मैं करेया था दिन गुजरै... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 676 Share Sheela Gahlawat Seerat 18 Jul 2021 · 1 min read नदी जैसे बहना (ग़ज़ल) ग़ज़ल चुप हूँ चुप ही है रहना क्या सुनना अब क्या कहना मेरी आदत है यारो एक नदी जैसी बहना जब तुम पत्थर जैसे हो सब बेकार है अब कहना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 5 635 Share Sheela Gahlawat Seerat 16 Feb 2021 · 1 min read ग़ज़ल ( फूल हवा में तैर उठें) ऐसी ही तू कोशिश कर दिल में यार रिहाइश कर फूल हवा में तैर उठें खुशबू की तू बारिश कर दिल का फ़ीता लेकर तू उल्फ़त की पैमाइश कर फ़स्ल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 229 Share Sheela Gahlawat Seerat 31 Jan 2021 · 1 min read ग़ज़ल कुछ इधर,कुछ उधर कई देखे इक मुसाफ़िर ने घर कई देखे रास आया न एक भी हमको हमने रस्ते मगर कई देखे आदमी एक भी न मिल पाया हमने कितने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 2 331 Share Sheela Gahlawat Seerat 18 Jan 2021 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल तन्हाई में शहर बनाया करता है कागज का जो फूल बनाया करता है कैसा पागल दीवाना है रातों में दीवारों को दर्द सुनाया करता है अपनी ही बातों पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 4 289 Share Sheela Gahlawat Seerat 16 Jan 2021 · 1 min read ग़ज़ल कर्मों का फल मिलता है कब इंसां फूल सा खिलता है कब रंग बिरंगी इस दुनिया में साथ सभी का मिलता है कब बंद हुए दरवाज़े घर के पत्ता कोई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 270 Share