डॉ. शशांक शर्मा "रईस" Language: Chhattisgarhi 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ. शशांक शर्मा "रईस" 5 May 2024 · 1 min read फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता कलकुत के दिन गइस रे संगी, जाड़ के दिन ह पहागे!! धान-पान सब घर म आगे, खेत कोठार सकलागे!! होके छुछिन्दहा घाम उवत हे, थोर थोर कहले लागिस!! मोटहा कथरी... Chhattisgarhi · Poem 1 112 Share