bunty singh Tag: ग़ज़ल/गीतिका 15 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid bunty singh 6 Nov 2016 · 1 min read तुम्हारा पहला.. कभी पैग़ाम ही आये....... ग़ज़ल ========================== किस्सा ओ कहानी ; मिरा क़लाम ही जाये तस्वीरें बनें ;वो मुक़म्मल शाम ही आये दीवाली मुबारक ; तुम्हें हम सब देते हैं तुम्हारा पहला.. कभी पैग़ाम ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 590 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ..'... .. वाज़दा चाहिए '' दाल रोटी बस...बकायदा चाहिए अब नहीं झगड़ना; वायदा चाहिए रूठ जाएँ कभी भूलकर आप हम लौट कर ला सके वो सदा चाहिए साँस के बीच जो साँस आती रहे देर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 464 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ..'''.....अक़्स बूंदों में दिखाते हैं..'' ================================ गुज़रते पल गुज़रते छिन कभी हमको रुलाते हैं कभी देकर सदायें वे हमें वापस बुलाते हैं दिलों को जोड़ने वाली उन्ही टूटी दीवारों से टपकते जल तुम्हारा अक़्स बूंदों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 442 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल .''खूबसूरत ...लगा नहीं कोई'' --------------------------- चल सका सिलसिला नहीं कोई मुसकाता.... मिला नहीं कोई पहल करनी पडी.. मुझे पहले हाथ आगे ....बढ़ा नहीं कोई ताज के श्वेत संगमरमर सा खूबसूरत ...लगा नहीं कोई आ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 425 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ..''..जिंदगी दर्द की कहानी है' ========================= बात मुहब्बत की बतानी है जिंदगी दर्द की कहानी है हर रिश्ता बसा किया दिल में दौलतें ही असल जुबानी है माफ़ कर दो मुझे... मिरे हमदम चार ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 545 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ..''ज़िंदगी तुझे गुरूर क्यों है..'' ************************************ ज़िंदगी तुझे गुरूर क्यों है ये शराब सा शुरुर क्यों है पल पल टूटा बिखरा बिखरा वक़्त सितमगर मगरूर क्यों है हाँ... डरा हुआ ज़रूर हूँ मैं घाव ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 389 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ..''.. उन्ही के सामने.'..' ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~====== खूब बातें की उन्ही से बस खुदी के सामने बोलती बस बंद हो जाती उन्ही के सामने रंग पीला ओढ़नी का याद आता आज भी ज़िंदगी के रंग फीके... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 388 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल '.. तुम संसार पढ़ लोगे..' *************************************** असुवन तरल कतार बद्ध लड़ी मोतियन गढ़ लोगे खुदाया प्यार हो जाये तुम्हे तो.... हार पढ़ लोगे कभी चाँद निकला तो चांदनी भी निकल जाती है खुले छत पे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 407 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ..'.. याद रहते हैं..' ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ नज़ारे याद रहते हैं.....पुराने याद रहते हैं कभी न भूल सकते पल सुहाने याद रहते हैं सिलसिला निकल पड़ता है खर्चे का .. तीज त्योहारों बचपने के कुल जमा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 444 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ..'मै मिलूंगा तुझे.... अज़नबी की तरह..' ===*====*========*====*=* ज़िंदगी में तड़प .. तिश्नगी की तरह मौत से मिलन हो.. ज़िंदगी की तरह आएगा ख्वाब फिर से.. यही सोचकर आँख मूंदी रही...... तीरगी की तरह ज़िंदगी के किसी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 341 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल...'मरेंगे जिएंगे ; जिएंगे मरेंगे..' ====================== जहाँ पर गगन और सागर मिलेंगे ज़ुदा दिल कभी तो वहीँ पर मिलेंगे गुलों ने चमन में मुस्काते कहा है कली है अभी जो तुम्ही से खिलेंगे बड़े बेशरम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 420 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ..''..मुस्कुराते है आ गया कोई..' ============================ मुस्कुराते है आ गया कोई ख्वाब बनकर है छा गया कोई शोख दिलबर है वो हज़ारों में शोहरत लाख पा गया कोई एक चलता हुआ मुसाफिर था छाँव गेसू... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 617 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल..'..याद आई आज फिर..'' भूलना चाहूँ न भूलूँ याद आई आज फिर चाँद निकला चांदनी भी शरमाई आज फिर चमक जाती है तस्वीरे यार जेहन में मगर याखुदा आँखे तेरी न मुस्कुराई आज फिर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 376 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ''........पुरानी दास्ताँ जो दरमियाँ..'' ------------------------------------------ ग़लतफ़हमी हार जायेगी मियाँ दोस्ती जीतेगी सारी बाजियाँ। उन तलक फिर भी गयी न बात वो थी पुरानी दास्ताँ जो दरमियाँ मिल गया होता खुदा गर आज तो कह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 476 Share bunty singh 29 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ''....''पंजाबी हो गई हैं '' शर्म क़सम से गुलाबी हो गई हैं नियत भी अब पंजाबी हो गई हैं लहर बहती जहाँ मुहब्बत वाली 'ब' तेज़ाबी हिज़ाबी हो गई हैं पुराने मित्र मिलें बिछड़े हुए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 510 Share