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शब्दों की चाहत है हृदय में उनके,
श्याम सांवरा
माना कि हम सही तुम सही,
श्याम सांवरा
धन कमा लोगे, चमन पा लोगे।
श्याम सांवरा
सुकून की तलाश ने, प्रकृति की भाषा सिखा दी।
श्याम सांवरा
खो दोगे जब हमें,
श्याम सांवरा
किसे सुनाऊं मैं,
श्याम सांवरा
अब तो तमन्ना है कि, टूटे कांच सा बिखर जाऊं।
श्याम सांवरा
रातें जाग कर गुजरती हैं मेरी,
श्याम सांवरा
निज स्वार्थ ही शत्रु है, निज स्वार्थ ही मित्र।
श्याम सांवरा
औरन को परखन चले, खुद की चिंता भूल।
श्याम सांवरा