Satyendra kumar 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Satyendra kumar 12 Nov 2018 · 1 min read आरुष किरण माँ आशा सारी झूठ हुई अब, चारो और हताशा है सपने सारे टूट गए अब, चारों और निराशा है राह में राही रूठ गए अब, अपना नहीं सुहाता है तम के... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 50 883 Share Satyendra kumar 13 Nov 2018 · 1 min read तू बना रह निडर तू बना रह निडर, सत्य हो जिधर जिधर कंप-कँपाते पैर से, डगमगाती बेंत से इस अंधेरी रात में, सूर्योन्मुखी हो नजर उठ खड़ा हो चल उधर, सत्य हो जिधर-जिधर क्या... Hindi · कविता 6 2 516 Share Satyendra kumar 13 Nov 2018 · 1 min read एकलव्यी भारत मैं था घट-घट पर पड़ा हुआ, भोजन मिलता था सडा हुआ नित कटु वचन मैं सुनता था, चरणों की धूल मैं बनता था विद्या की ललक लिए मन में, मैं... Hindi · कविता 5 5 279 Share