सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' Tag: Quote Writer 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 14 Sep 2024 · 1 min read हिंदी दिवस हिंदी दिवस ------ कवि, चाँद और वन की भाषा, कोकिल के कूजन की भाषा। वर्जन का अपमार्जन करती- अन्वेषण, दर्शन की भाषा। ©ऋतुपर्ण Quote Writer 81 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 14 Sep 2024 · 1 min read हिंदी दिवस हिंदी दिवस ******* हृदय और यह मन की भाषा, सरल सफल सज्जन की भाषा। पढ़-अनपढ़ की खाई पाटकर, बनी रहे जन-जन की भाषा! ©ऋतुपर्ण Quote Writer 130 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 31 Jul 2024 · 1 min read सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता। सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता। उन्हीं के हाथ में पड़कर हुई बेशर्म नैतिकता। Hindi · Best Hindi Poetry · Bhrastacharcorruption · Quote Writer · Upsc Hindi Kavita Trending · कविता 85 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 26 Jul 2024 · 1 min read नमन उन वीर को दिल से, नमन उन वीर को दिल से, डिगे ना लक्ष्य से तिल भर। लड़े जो मृत्यु बनकर ही, झुकाया मृत्यु ने भी सर। अमरता का हृदय पिघला, सजे सिंदूर-बिंदी हर। दुःख... Quote Writer 77 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 5 Jun 2024 · 1 min read यूपी में मंदिर बना, यूपी में मंदिर बना, दीखे भक्त विरक्त।🛕 पड़ोस, मध्य प्रदेश में, निकले असली भक्त।🚩 Quote Writer 1 145 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 4 Jun 2024 · 1 min read *बीजेपी समर्थक सामांतर ब्रह्मांड में*🪐✨ *बीजेपी समर्थक सामांतर ब्रह्मांड में*🪐✨ मोदी ने जो कह दिया,हुआ चार सौ पार। इंडी झंडी फेंककर,किया हार स्वीकार। किया हार स्वीकार,बुलाया मंथन-मेला। बुल्डोजर बाबा ने, विपक्षी को यूँ रेला। मीडिया... Quote Writer 137 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 16 Mar 2024 · 1 min read पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ। पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ। लिए हम पुष्प औ' चंदन, चले आओ चले आओ। समापन के निकट अब नन्दिजी की भी प्रतीक्षा है, कन्हैया, क्या तुम्हें बंधन? चले... Quote Writer 130 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 9 Aug 2023 · 1 min read नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ। नदी की तीव्र धारा है, चले आओ चले आओ। नहीं दिखता किनारा है, चले आओ चले आओ। हरे! उद्यत हुआ अर्जुन खड़ग बस त्याग देने को, उसी ने फिर पुकारा... Quote Writer 418 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 9 Aug 2023 · 1 min read ताक पर रखकर अंतर की व्यथाएँ, ताक पर रखकर अंतर की व्यथाएँ, पीड़ाओं के हृदय पर हास लिख दो। शुष्क जीवन के द्रवित-ठूंठे -तरु पर, मधु-मिश्रित मलयमय मधुमास लिख दो। ©ऋतुपर्ण Quote Writer 594 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 7 Aug 2023 · 1 min read सुनी चेतना की नहीं, सुनी चेतना की नहीं, जिसने कभी पुकार। उसके द्वारे ही सदा, खटकता है विकार।। मानस होता है बड़ा, चिंतनशील, अशांत। उलझा हुआ विचार में, व्यथित,थकित,उद्भ्रात।। मन सदा यह दौड़ता, करता... Hindi · Quote Writer · कविता · दोहा 1 294 Share