Sandeep Thakur Tag: Chandi Ke TAAR Bhi.... 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Sandeep Thakur 15 Sep 2025 · 1 min read Chandi ke TAAR bhi....Ghazal by Sandeep Thakur ढल रही है उम्र अब ढलने लगा है प्यार भी बालों में आने लगे हैं चांदी के कुछ तार भी मेरे हाथों की छुअन में अब कहां वो गर्मियां और... Hindi · Chandi Ke TAAR Bhi.... · ग़ज़ल · ढल रही हैं उम्र ढलने लगा है · शेर · संदीप ठाकुर ग़ज़ल 7 2 984 Share