दिल कहे, 'आना-जाना' चाहिए, रोज़ रोज़, 'नया बहाना' चाहिए।
#सफ़रनामा दिल कहे, 'आना-जाना' चाहिए, रोज़ रोज़, 'नया बहाना' चाहिए। दीदार को, उस रेशमी मुखड़े का अचूक, 'नज़र-ऐ-निशाना' चाहिए। एक से बचे दूजे गस खाके गिरें, नज़र भी हमें 'क़ातिलाना'...
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