Sachchidanand Prajapati 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sachchidanand Prajapati 19 Nov 2018 · 2 min read किससे कहूँ ? किससे कहूँ ? स्पंदित ह्रदय से निकली इस पीड़ित चेतना को भावनाओं के कंदराओं में बैठी तीव्र वेदना को किससे कहूँ ? आधुनिक समाज के तथाकथित विकास को हो रहे... Hindi · कविता 2 1 472 Share Sachchidanand Prajapati 15 Nov 2018 · 1 min read ये प्रेम ही तो है... तुम्हारे ये श्रृंगार का आधार और इन भावनाओ का उदगार उमड़ता एक अलग संसार जो ले रहा विशाल आकार ये प्रेम ही तो है जो देता एक नया उमंग मन... Hindi · कविता 1 1 402 Share Sachchidanand Prajapati 14 Nov 2018 · 1 min read मानव बनना भूल रहे हर ओर हाहाकार मचा है प्राणिमात्र है निशाने पर मानवता शर्मशार खड़ी है आज बीच चौराहे पर पाश्चात्य देशों के प्रतिस्पर्धा में संस्कृति अपनी भूल रहे डॉक्टर इंजिनियर बनने में... Hindi · कविता 2 343 Share Sachchidanand Prajapati 20 Nov 2018 · 1 min read क्यूँ है मन मेरा उदास ? भीतर एक प्रश्न खड़ा है प्रश्न मेरा बहुत है खास समझ न आये करूँ मै क्या क्यूँ है मन मेरा उदास ठहरी सी है वायु ये जैसे थका-थका सा नीर... Hindi · कविता 2 228 Share