Roshni Yadav 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Roshni Yadav 6 Dec 2018 · 1 min read जटिल आज़ादी सुबह लिखती हूँ,शाम लिखती हूँ। इस चारदीवारी में बैठी हर रात लिखती हूँ। ये अल्फ़ाज नहीं मेरे दिल के जज़्बात हैं, जिन्हें तेरे नाम लिखती हूँ। हर साँस में बोलती... Hindi · कविता 1 2 268 Share