रेवाशंकर कटारे "स्नेही" 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid रेवाशंकर कटारे "स्नेही" 12 Jul 2018 · 1 min read दिल्ली दिल्ली क्यो बिल्ली बनी, सहती नित प्रति घात। पाक, चीन जो आज कल, कुत्ता से गुर्रात।। कुत्ता से गुर्रात, बात नित करत कड़ी है। करे मधुर नहीं बात, घात की... Hindi · कुण्डलिया 203 Share रेवाशंकर कटारे "स्नेही" 12 Jul 2018 · 1 min read कुत्ता की पूंछ कुत्ता की दुम मित्रवर, राजनीति की खान। बिन इसके संभब नहीं, अब जन का कल्याण।। अब जन का कल्याण, चहो गर मौज उडाना। सकल कलाऐ छांण, सीखिऐ पूंछ हिलाना।। यही... Hindi · कुण्डलिया 343 Share रेवाशंकर कटारे "स्नेही" 12 Jul 2018 · 1 min read आरक्षण तरना मुश्किल होयगा, पढ़े कहीं गर ओर। आरक्षण के दोर मे, भला चराना ढ़ोर।। भला चराना ढ़ोर, छोड़ दो पढ़ना बरना। सर्विस को श्रीमान, पढ़ेगा धरना धरना।। स्नेही कमवक्त, पढ़ाई... Hindi · कुण्डलिया 309 Share रेवाशंकर कटारे "स्नेही" 12 Jul 2018 · 1 min read जिन्दगी यूँ तो गमगीन होती है हर जिन्दगी । फिर भी नमकीन होती है हर जिन्दगी ।। मिलती है खुशियाँ कभी ,मुश्किल मंजिलें । अंततः गतिहीन होती है हर जिन्दगी ।। Hindi · मुक्तक 205 Share रेवाशंकर कटारे "स्नेही" 12 Jul 2018 · 1 min read कुर्सी रज सहसा भारी हो गये ,नेता जी बीमार । सो डिर्गी से भी अधिक ,उनको चढ़ा बुखार । उनको चढा़ बुखार ,शहर के सर्जन सारे । दे नहिं सके रिलीव ,परेशांं... Hindi · कुण्डलिया 247 Share रेवाशंकर कटारे "स्नेही" 12 Jul 2018 · 1 min read चौका में चांद चोका में चोका लगा ,रही एक दिन नार । चोका बिंदियाँ चांद सी ,प्रातः निरख सुनार । प्रातः निरख सुनार ,चांद पूनम सा घर में । दिखे धरा पर आज... Hindi · कुण्डलिया 361 Share रेवाशंकर कटारे "स्नेही" 12 Jul 2018 · 1 min read कुर्सी रज सहसा भारी हो गये ,नेता जी बीमार । सो डिर्गी से भी अधिक ,उनको चढ़ा बुखार । उनको चढा़ बुखार ,शहर के सर्जन सारे । दे नहिं सके रिलीव ,परेशांं... Hindi · कुण्डलिया 466 Share रेवाशंकर कटारे "स्नेही" 14 Jul 2018 · 1 min read कलयुग के कन्हैया सुख छीन रहे दुख बीन वजा वनके मनमोहन ये कलि वाले । अपने पन को पनपात नही ,मतभेद बढ़ात सभी दल वाले ।। कब राम रहीम चहें लरवो ,पर द्वँद... Hindi · घनाक्षरी 1 528 Share