रौशन जसवाल विक्षिप्त 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid रौशन जसवाल विक्षिप्त 20 Jul 2017 · 1 min read सब गरीब है , इबादत लिखेंगे कभी मिले तो शिकायत लिखेंगे कैसी है अब, तबियत लिखेंगे, हार गया है ज़माने से जो जो उनके लिए अब हिमायत लिखेंगे, प्रश्न रह गये है जो अनुत्तरित फिर नए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 348 Share रौशन जसवाल विक्षिप्त 8 Feb 2017 · 1 min read आदमी आदमी को ही लूटता है आदमी आदमी को ही लूटता है अपना पराया सभी को लूटता है क्या खोया क्या पाया सोचता है दुख भीतर ही तो कचोटता है जीवन में खो जाते है जो... Hindi · कविता 472 Share रौशन जसवाल विक्षिप्त 2 Feb 2017 · 1 min read सुंदरता उसकी बातें उसकी सुंदरता की तरह ही आकर्षक होती थी। कोई भी उससे मिलता तो उसका मुरीद हो जाता। मैं भी उसकी उसकी बातों से बेहद प्रभावित रहा। कार्यालय में... Hindi · लघु कथा 400 Share रौशन जसवाल विक्षिप्त 1 Feb 2017 · 1 min read माँ... ऊन और सिलाइयों के बीच अंगुलियां बुन डालती थी जुराबें सर्दियों के लिए, टीवी पर निरतन्तर देखते धारावाहिक के बीच ही देख लेती भी जुराबों और पाँव का नाप, नई... Hindi · कविता 1 622 Share रौशन जसवाल विक्षिप्त 1 Feb 2017 · 1 min read मित्रता यूँ तो उससे कोई पुराना परिचय नहीं था, मात्र इतना कि वो दूकानदार था और मैं उसका ग्राहक। रोज उससे दूध की थैली ले जाता और दुआ सलाम हो जाता।... Hindi · लघु कथा 781 Share