रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' Tag: कविता 28 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 20 Nov 2023 · 1 min read किसान मजदूर होते जा रहे हैं। किसान मजदूर होते जा रहे हैं। रातों जागते,स्वेद बहाते, स्वप्न अच्छे दिनों के सजाते, हर विपदा से लोहा मनवाते, रुखी सुखी ही खा रहे हैं! किसान मजदूर होते जा रहे... Hindi · कविता · गीत · मुक्तक 2 257 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 30 Oct 2023 · 1 min read वह नारी है नारी का वह अद्भुत रूप, उमा, भारती, जगदम्बा स्वरूप, गंधमय उससे घर का कोना, उसके पदचिन्ह से भाग्योदय होना, आती जो मां-बाप का घर छोड़, उसकी जिंदगी का विचलित वह... Hindi · कविता · गीत · मुक्तक 2 213 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 9 Jun 2023 · 1 min read आंखें मेरी तो नम हो गई है गीत - आँखें मेरी तो नम हो गई है। दास्तान मेरी जब से.. खत्म हो गई है-२ आँखें मेरी तो...२ नम हो गई है।। दास्तान मेरी जब से... खत्म हो... Hindi · कविता · गीतिका · मुक्तक 1 380 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 25 May 2023 · 1 min read घर बन रहा है घर बन रहा है। अथक प्रयास.. आशातीत-स्वप्न असंभव से चुनौतीपूर्ण डगर... एकटक गड़ाए नज़र... कष्ट सी रिवाजें स्नेहपूर्ण निभाते हुए इन सब में शामिल... पंथी का स्वेद छन रहा है।... Hindi · कविता 1 172 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 18 May 2023 · 1 min read ऐसा क्यों होता है ऐसा क्यों होता है। क्यों बंधन दिल पर हो? क्यों गुनाह दिल से हो? क्यों रखा पर्दे में? क्यों रहम कातिल से हो? आखिर क्यों हुआ ऐसा? क्यों कत्ल कर... Hindi · कविता · गीत 1 457 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 16 May 2023 · 1 min read एक शख्स चैन से सोता है, ख्वाब बङे अच्छे रखता है| तू पूछना सवाल, जवाब बङे अच्छे रखता है| मैं भूल जाता हूँ, जिंदगी के मायने, एक वो है कि, हिसाब बङे... Hindi · कविता 1 258 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 29 Apr 2023 · 1 min read हार स्वीकार कर हार स्वीकार कर कंटक-पथ है पद धर ना फिकर कर टेढे़-मेढे़ रास्तों का बढ़ धीरज धर ओ पथिक स्वेद बहा अटल बन चढ़ दिशा निरंतर हो निशा में भी तमस... Hindi · Poem · कविता · गीत 1 459 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 20 Apr 2023 · 1 min read अधूरे ख्वाब नज़्म - अधूरे ख्वाब मुकव्वल कौन से हमने, ख्बाव कर रखे थे। पहले से ही तय उसने, जवाब कर रखे थे। सजदे में सर झुकते रहे यारों, पथ जो थे... Hindi · कविता · गीत · मुक्तक · शेर 1 237 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 13 Apr 2023 · 2 min read सात सवाल कविता सात सवाल भोर हो गई कुछ सुनाया जाए। अनसुलझे सवालों की गठरी खोल कर दिखाया जाए। जेहन है इनके हिसाब माँग रहा है। सभी के कुछ न कुछ जवाब... Hindi · कविता 1 488 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 10 Apr 2023 · 1 min read आम आदमी बस इंसान हूँ मैं। मैं जैन, सिख,ईसाई हिन्दू और मुसलमान हूँ मैं। वैसे मैं और कुछ भी नहीं बस सिर्फ इंसान हूँ मैं। बाईबल भी मैंने लिखा, लिखा भी कुरान... Hindi · कविता 1 307 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 5 Apr 2023 · 1 min read मुझे पता है। मुझे पता है वो सर्द हवाएं उन्हें छू कर निकली, वो गर्जता घन उन्हें निहार कर आया। वो फुहार उसे देख कर मचली, वो झोंका उसे पुकार कर आया ।... Hindi · कविता 339 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 31 Mar 2023 · 1 min read केवट का भाग्य केवट का भाग्य धरा का रज-रज पुनीत हुआ चरण-कमल जब पड़े कानन में। उमड़ - उमड़ कर जलद है आते दरिया थी आनन-फानन में। गंभीर सोच में डूबे पुरुषोत्तम, कैसे... Hindi · Poem · कविता 2 802 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 31 Mar 2023 · 1 min read वो खूबसूरत है वो खूबसूरत है। वो खूबसूरत है बिछी बर्फ की तरह बहती दरिया सी गिरती ओस रूपी आखिरी बूंद सी बरखा की छायी लालिमा सी नीले गगन की तरह। वो खूबसूरत... Hindi · कविता 1 206 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 19 Mar 2023 · 1 min read याद आते हैं वो जब भी देखता हूं तन्हा सड़क पर बारिश की गिरती हुई बूंदें याद आते हैं वो! चलता हूं जैसे हाथों में हाथ लेकर बाहों को थामते हुए बतलाते हुए प्रेम... Hindi · कविता 1 167 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 19 Mar 2023 · 1 min read हवा में हाथ बुनियाद हिलने लगी है 'मुसाफिर' कमजोर यकीं दबे पत्थर का हुआ... ये सिलसिला मेरे ही घर का नहीं ये तेरे, उसके भी घर का हुआ... नहीं है अब कोई रहमत... Hindi · कविता 2 456 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 20 Jan 2022 · 1 min read बसेरा उठाते हैं। बसेरा उठाते हैं बहुत हुआ अब बहुत हुआ सुन कदम बढ़ाते हैं। इस शहर से ऐ मुसाफिर अब बसेरा उठाते हैं। सोचा था मिलेगा सुकून यहां पर। मगर मिट गया... Hindi · कविता 1 2 227 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 12 Nov 2021 · 1 min read मैं भारत हूं मैं भारत हूं... मैं भारत हूं... मैं मार पालथी बैठा हूं.... कहीं सड़कों पर, कहीं मंदिरों में, कहीं चौराहे पर तो, कहीं अनाथालयों में, बस दो जून की रोटी को...... Hindi · कविता 3 4 413 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 12 Sep 2021 · 1 min read एक दिन गुजर ही जाना है।। पैरों की बिवाइयां क्या देखूं? सफर लम्बे में तन्हाइयां क्या देखूं? रिस रिस कर घाव चलें संग, मुड़ कर उनकी परछाइयां क्या देखूं? जब हर सितम से टकराना है। एक... Hindi · कविता 2 2 357 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 25 Aug 2021 · 1 min read कुकुरमुत्ते दहलीज के ठीक सामने अकड़ कर उग आए हैं सर पर छाता-सा रख, वर्षा के जल को थामने कुछ कुकुरमुत्ते! नहीं किसी ने नहीं किया उपकार खाद का, नहीं दिया... Hindi · कविता 4 4 476 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 15 Aug 2021 · 1 min read सोया है देश मेरा सोया है मेरा गांव घोड़े बेचकर.. ठीक इसी प्रकार सोया है मनुष्य, नहीं मालूम इन्हें आज की ऐसी रात चीरा था.. हृदय भारत मां का। बंटे थे घर, जमीन, बही... Hindi · कविता 2 345 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 10 Aug 2021 · 1 min read महायुद्ध हो रहा है युद्ध, महाभीषण युद्ध, कट रहे हैं अंग क्षण तार तार हो रहा है। है विद्रोह किसका? किसकी गलती? नर संहार हो रहा है। बरसा है व्योम भंयकर... Hindi · कविता 2 493 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 30 Jul 2021 · 1 min read ख्वाबों के महल पल में बनते, बिगड़ते जा रहे हैं, ख्वाबों के महल! ये ख्वाब है स्वतंत्र, मनमौजी.. जो निकलते हैं एकांत समय, जब सो जाती अमीरी-गरीबी, सो जाती है भूख-प्यास, सो जाती... Hindi · कविता 3 500 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 25 Jul 2021 · 1 min read कलाकार अद्भुत है यह सृष्टि अद्भुत है यहां कलाकार दिया खुदा ने सबको, चिंटी,हाथी, मनुष्य,खग को, तोहफे में कारीगरी का काम! जिसमें देखा मैंने.... चिंटी का स्वेद बहाना। खोद धरा रज... Hindi · कविता 4 2 540 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 22 Jul 2021 · 1 min read कविता - वृद्ध हो रहा हूं। टूट रही है शाखें, झड़ रही है पत्तियां, धीरे धीरे... चेहरे पर उभरती झुर्रियां, आपस में लड़ रही है.. होता शिथिल तन, पुनः बालक सा अब, समृद्ध हो रहा हूं।... Hindi · कविता 4 8 522 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 11 Jul 2021 · 1 min read समंदर में आग है मछलियां, शैवाल, व्हेल, मगरमच्छ, सब है आक्रोश में। शिकार कर रहे, शक्ति के जोश में। उबल रहा है जल, तटों पर झाग है। ओ धीवर मत जाना तुम, समंदर में... Hindi · कविता 2 2 405 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 8 Jul 2021 · 1 min read पैसा :- एक भूख आजकल देखी जाती हैं सिनेमा, दीवारों तथा अखबारों में छपी और दिखाई गई तस्वीरें... जो सच है पटल पर पर्दे के पीछे उतारती है औरत अपने कपड़े, खुश करने को... Hindi · कविता 4 4 593 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 30 Jun 2021 · 1 min read हां ! मैं अपराधी हूं हां मैं अपराधी हूं! मैंने तोड़ा है कानून लिया है हाथ में, थे चार वो मैं अकेली । पथ सुनसान... बना था पहेली । ठीक निशीथ काल, बंद गाड़ी भयभीत... Hindi · कविता 2 411 Share रोहताश वर्मा 'मुसाफिर' 11 Nov 2018 · 1 min read माँ ही जीवन कविता-माँ कविता वसुधा-सी आँचल फैलाए.. वात्सल्य की वो मूरत है। कैसे कह दूँ भगवान नहीं देखा, एक माँ उनकी सूरत है। अपनी ममता की छाँव तले वो… संपन्न करती संसार... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 15 112 1k Share