R D Jangra 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid R D Jangra 29 May 2024 · 1 min read भय जब एक अजन्मी बेटी ने अपने स्वागत में गलियां गलियां खाई एकाएक घर में होने लगी लड़ाई तब एक सुकोमल ने अपने हृदय पर पत्थर रख लिया सोचा पितृ गोद... 1 120 Share R D Jangra 29 May 2024 · 1 min read शिकायत देख जमाने की करतूतें किस को दर्द बताऊँ मैं तू ही मेरे खून की प्यासी बोल कहां अब जाऊँ मैं मेरी जगह जो पुत्र होता सब सुखिया तुझे मिल जाती... 1 140 Share R D Jangra 29 May 2024 · 1 min read दिमाग असली वाकया कल मैने बाजार मे अपनी पत्नी से पूछा ! "क्या खाओगी ?" पत्नी ने कहा - आपका दिमाग" ठीक तो है ना। कसम से उसे खुद नहीं पता... 1 72 Share R D Jangra 29 May 2024 · 1 min read सुखी कौन... "इस जहां में... कौन सुखी है... बस वही आर.डी..... जिसका पड़ोसी दुःखी है !! 28.12.2014 Poetry Writing Challenge-3 1 80 Share R D Jangra 29 May 2024 · 1 min read सरकार अनपढ़ को भी चुनती है, बहरों को भी चुनती है, मेरे देस की जनता है जनाब अपने दिल की कब सुनती है!! और वो चालक को भी निकालती है, वो... 1 61 Share R D Jangra 29 May 2024 · 1 min read बुरा दौर चंद घण्टे पहले तुमने, जब लंकेश जलाया था, सत्य रहा झूठ पे भारी, क्यूं तुमने बतलाया था ? अन्याय की चिंगारी को, क्या प्रदेश सहेगा जी ? रावण का भी... 1 71 Share R D Jangra 29 May 2024 · 1 min read शादी की वर्षगांठ शादी की वर्षगाँठ RD Jangra जरूरत नहीं मेरे संस्कारों पे तगमा दे मुझे दुनिया; मेरे बच्चे मुझसे दौड़ के मिलें तो सिकन्दर हूँ मैं ।। * मोहब्बत वह नहीं होती... 1 137 Share R D Jangra 29 May 2024 · 1 min read गुरु गुरु बड़ा नित मानिए, सदा करो सम्मान, ज्यों-ज्यों मान बढ़ावत हो, त्यों-त्यों बनो महान । ओझल जब सब पथ हुए चहुँ ओर अंधकार, गुरु दिखावत रास्ता, खुशियाँ मिले अपार ।... 1 95 Share R D Jangra 29 May 2024 · 1 min read मां की रोटी मां की रोटी मोटी थी उसमें प्यार मिलाया होता था आर डी छक कर उठ जाता था बस "एक" खिलाया होता था अब पतली खा कर सोते हैं छः खाकर... 2 66 Share R D Jangra 14 May 2024 · 1 min read एक अजन्मी पुकार एक अजन्मी बेटी ने कोख से पुकारा मां कैसा सुंदर होगा आसमान प्यारा क्या कुदरत जमाने से डर जाएगी क्या नन्ही सी जान कल मर जाएगी मैं तुझे कुछ कहना... Poetry Writing Challenge-3 · Poem 1 69 Share R D Jangra 9 Nov 2018 · 1 min read मां का दर्द मेरा नजराना था एक दिन वो अब नजरें चुराता है । जिसे समझाई दुनिया वो अब दुनिया सिखाता है । कभी जो दे चुकी उसको अभी हूं पा रही उससे... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 24 401 Share