Ran Bahadur Singh Chauhan Tag: ग़ज़ल/गीतिका 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ran Bahadur Singh Chauhan 11 Oct 2021 · 1 min read शारीरिक विधा में मन की स्थितः विधा होती क्रियान्वयन समय में, तब कैसे होती मन की विधिता। कुछ समय के लिए रुक जाओ, शरीर दिमाग की उर्जा चार्ज हो जायेगी। कार्य स्थिति यदि अब्यवस्थित विधा में,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 318 Share Ran Bahadur Singh Chauhan 9 Oct 2021 · 1 min read "अनावश्यक चाह का नशा" नशा को लेकर स्यमं खुद पैदा हुए, इच्छा अपेक्षाएं विकार नशे बाद चटनी। नशे के बाद विकार जैसी चाट लेकर, एच्छिक त्रप्ति हेतु नशा विकार विधा आयी। ज्ञान विवेक बिन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 236 Share Ran Bahadur Singh Chauhan 1 Oct 2021 · 1 min read "जीवन की विधिता" परम आत्मा भीषण प्रकाश शक्ति हैं, संसारिक जीवों का वही आत्मधाता है। ईश भगवान जैसे धर्मों के परम मानते, ज्ञान कल्पना करती संस्कृति महान। आम जीवन के हम एक प्राणी,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 329 Share