Ranjana Verma 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ranjana Verma 18 Jan 2023 · 1 min read तिरंगा ( कविता ) तिरंगा भारत मां की शान है तिरंगा इस रंगीले देश की पहचान है तिरंगा जिसकी महिमा गाता है संसार हम भारतवासियों का अभिमान है तिरंगा।। वीरता का प्रतीक है नारंगी... Hindi 1 132 Share Ranjana Verma 21 Feb 2022 · 1 min read "ऋतुराज बसंत" "ऋतुराज बसंत" मंद मंद मुस्कान लिए चारों ओर हरियाली छाई प्रकृति का श्रृंगार करने देखो बसंती बयार आई। लाल गुलाब संग पीली सरसों लहराई, कुसुम कली खिल-खिल वन उपवन सजाई।... Hindi · कविता 1 494 Share Ranjana Verma 3 Dec 2021 · 1 min read दुलहन "दुलहन " कुमकुम थाल पर पग रखकर .... ससुराल की देहरी पार करी कितने उमंग और उल्लास लिए मन में साथ में दुविधाएं भी है साथ खड़ी। नया परिवेश नये... Hindi · कविता 3 5 634 Share Ranjana Verma 25 Jul 2021 · 1 min read सियाराम मुक्तक वन में झूले श्रीराम,संग सीता प्यारी। रहे संग पिया जो,वन भी लगे फुलवारी। बारिश की फुहाड़े पड़ी,झूले पड़े डाली में नदी किनारे डाल हिंडोला,मुस्काती जनक दुलारी। तरु-पुष्प ले रघु,बनाए... Hindi · मुक्तक 1 546 Share Ranjana Verma 25 Jul 2021 · 1 min read छंदबद्ध कविता तिलका छंद: 112 112 शिर्षक- पुष्प परिजात खिले, हर डाल मिले जब वायु चले ,हर पुष्प हिले सब फूल झरे, फिर झाउ भरे कुछ फूल चुने, तब हार बने शिव... Hindi · कविता 3 2 1k Share Ranjana Verma 25 Jul 2021 · 2 min read समर्पण विधा-लघु कथा शिर्षकः समर्पण जैसे ही उसके आँगन में पैर रखा ऐसा जान पड़ा मानो घने सन्नाटों की छाया मंडरा रही हो। मैंने पूछा....चाची कहाँ है संध्या ? चाची ने... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 6 670 Share Ranjana Verma 16 Jun 2021 · 1 min read आवृत्तिका छंद ● *विधा -आवृत्तिका छंद* ~~~~~~~~~~~~~~~~~ ★ *आवृत्तिका छंद!* ????????? (आवृत्तिका छंद में चार चरण होते है 16/8 पर यति दूसरे व चौथे चरण मे तुकांत , अंत मे दो शुद्ध... Hindi · कविता 1 363 Share Ranjana Verma 7 Feb 2021 · 1 min read प्रेम की अनुभूति मेरा चेहरा हाथ में ले जब कहते हो न.... कि चाँद हूँ मैं तो जी चाहता है कह दूँ चाँद मैं नहीं तुम हों और.. और मैं तुम्हारी चाँदनी जो... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 39 901 Share Ranjana Verma 25 Mar 2020 · 1 min read "माता की स्तुति" "माता की स्तुति" कितना शांत,सौम्य,ज्योतिर्मय स्वरूप है तुम्हारा आपको खुश करें,प्राणपण से प्रयत्न है हमारा। कहाँ तुम्हें पायें....मन उदभ्रांत सा फिरता है। गूँजती हुई ध्वनित सिंहवासिनी की, जय माता दी....जय... Hindi · कविता 2 324 Share Ranjana Verma 25 Mar 2020 · 1 min read "सिया के राम" "सिया के राम" गूँजता है तेजघन, सुनो जानकी-प्राण, कैसा है ये विधि का विधान?? पूरी श्रद्धा से तुम्हें बुलाते है, पर ना जाने कहाँ चुक जाते हैं जो स्वयं में... Hindi · कविता 2 322 Share Ranjana Verma 24 Mar 2020 · 3 min read प्रेम का अहसास जब उसने कहा "जीवन में प्यार है तो सबकुछ है, प्यार नहीं तो कुछ भी नहीं" मुझे लगा - यह उसकी अपनी अनुभूती है ,इस बात का तार्किकता से कोई... Hindi · लघु कथा 3 2 326 Share Ranjana Verma 24 Mar 2020 · 1 min read नारी शक्ति "नारी शक्ति " नारी....तुम शक्ति हो तुम आत्मा हो हर प्राण की नारी तुम्हारी शक्ति है नारीत्व। तुम हर रूप में जीवन को आलोकित करती हो कभी अन्नपूर्णा तो कभी... Hindi · कविता 2 255 Share Ranjana Verma 19 Aug 2019 · 1 min read आजादी निज स्वार्थ और श्रेष्ठता के मद में डुबे हुवे क्या तुम्हें आजादी की अनुगूँज सुनाई देती है कोई विराग नहीं कोई विच्छेद नहीं.... क्या कानों में सुधावर्षण करती है?? तुम्हारा... Hindi · कविता 3 256 Share Ranjana Verma 25 May 2019 · 1 min read माँ कहाँ से पाती हो माँ ये अपराजीत स्वभाव यह तुल्यानुराग भाव ये अविचल जीवन-दृष्टि यह प्रश़्न स्वंय से दोहराती हूँ माँ बन अब माँ समझ में आती है।। तुम्हारा वात्सल्य... Hindi · कविता 4 2 626 Share Ranjana Verma 30 Mar 2019 · 1 min read विश्वास "विश्वास" काटों की बस्ती में... फूल सजोने हम गये मिली छुपी हुई हाय-हाय दर्द की गर्दिश में। कोई पास नहीं है फिर भी.... है बार- बार गर्जन शायद ये बादल... Hindi · कविता 1 534 Share Ranjana Verma 19 Mar 2019 · 1 min read होली "होली" आभा फागून की चारो ओर फैल रही कहीं हरी कहीं लाल रंग मन को भिगो रही रंग के फुहार से इधर-उधर उड़त है अबीर रंग कोकिला ने जब आवाज... Hindi · कविता 1 437 Share Ranjana Verma 19 Mar 2019 · 1 min read अभिलाषा अभिलाषा आकाश की असीम शून्यता में क्या आकर्षण हैं छुपा वहाँ। गगन की स्वच्छंदता से लेना-देना मुझको कहाँ। ऊपर देखूँ तो सर चकराता हैं। मुझको तो अवनी ही भाता हैं।... Hindi · कविता 1 327 Share Ranjana Verma 10 Mar 2019 · 1 min read अंतर्मन अत्यंत सहजता से पूछो अपने मन से अपनी कोमल और मृदुल भाव से क्यों बढ़ते हैं कदम और रूक जाते है अपनी कल्पना जनित स्वप्न लोक से एक विक्षुब्ध दशा,... Hindi · कविता 2 470 Share Ranjana Verma 7 Mar 2019 · 1 min read नारी सबकी चर्चित कथा, मैं ईश का रहस्य वरदान पर मैं भी हूँ तुम सबमें एक समान। आकाश औ पृथ्वी के बीच क्यों रहस्य बनू मैं जब अम्बर अवनी क्षितिज भी... Hindi · कविता 1 278 Share