Tag: ग़ज़ल
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"मेरे पाले में रखा कुछ नहीं"
राकेश चौरसिया
"हर खुशी के लिए एक तराना ढूंढ लेते हैं"
राकेश चौरसिया
"वो चमन के फूल क्यों मुरझाने लगे हैं"
राकेश चौरसिया
"गरीबी मिटती कब है, अलग हो जाने से"
राकेश चौरसिया