Rakesh Bahanwal Tag: कविता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rakesh Bahanwal 18 Aug 2022 · 1 min read मेरी चाह....।। प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना। कि हलवा पूरी गटक सकूं और चबा सकूं मैं चना चबैना।। प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना। मेरे तन की शुगर ना बढ़े, रहे मिठास जुबाँ की कायम।... Hindi · कविता 2 346 Share Rakesh Bahanwal 15 Aug 2021 · 2 min read "तब घर की याद आती है" दिन तो कट जाता है स्कूल में बच्चों को पढ़ने-पढ़ाने में पर रात की तन्हाई काट खाती है । तब घर की याद आती है। जब घर पर बात होती... Hindi · कविता 3 528 Share