Rahul Gaur 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rahul Gaur 20 May 2021 · 1 min read कल शाम कल शाम जब प्रकृति मुस्कुराई थी, जब बादल फट पड़े थे अपने अंतर को उड़ेलते से, और यह हवा कुछ पगलाई थी, याद है? उन पत्तों पर तैरती बूँदों की... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 5 857 Share Rahul Gaur 3 Jan 2021 · 1 min read जादूगरों की जान सहमी, दुबकी बैठी दुनिया, बिल्कुल चुप्पौ चाप, आँखें फाड़े देखै, कैसा मचा हुआ संताप, चलते फिरते पुर्ज़ों की भी, हरकत ऐसे बंद हो रही जीवन की गाड़ी की जैसे निकले... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 45 56 1k Share