Nitu Sah Tag: ग़ज़ल 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Nitu Sah 10 Nov 2024 · 1 min read सलीके से हवा बहती अगर सलीके से हवा बहती अगर मेरे होके वो जो रहती अगर॥ समुन्दर को भी ठुकरा देता मैं जो मुझसे दोस्ती करती अगर॥ जहां सांसो को थोड़ा सुकुन हो कोई कश्ती... Hindi · ग़ज़ल 2 1 26 Share Nitu Sah 21 Oct 2024 · 1 min read आंसूओ को इस तरह से पी गए हम आंसुओं को इस तरह से पी गए हम बात ये भी सच है,मर के जी गए हम।। चाहता है दिल नज़र से बात तो हो चुप रहे वो ऐसे कि... Hindi · ग़ज़ल 2 2 22 Share Nitu Sah 11 Mar 2024 · 1 min read आज का कल जिंदगी को हार का मय मत बना आज में जी, आज का कल मत बना।। पत्थरों को देख फिर चाहे जो कर उड़ना है उड़,रेत का घर मत बना।। शादी... Hindi · ग़ज़ल 1 87 Share Nitu Sah 29 Jun 2022 · 1 min read प्रेम की परिभाषा बड़ी खुबसूरती से वह बातों को बनाना जानती थीं वो कोयल ना थी फिर भी रिझाना जानती थी।। अपने हौसलों से गगन को छूना जानती थीं वो पतंग ना थीं... Hindi · ग़ज़ल 5 4 603 Share Nitu Sah 28 Jun 2022 · 1 min read इश्क के हालात पे इश्क की हालात पे सनम ना रोइए अगर जाना हैं छोड़कर दामन मेरा तो सौंख से जाइए।। बेबसी के सितम इश्क में ना उठाइए अगर इश्क से दम घुटने लगा... Hindi · ग़ज़ल 2 2 151 Share Nitu Sah 28 Jun 2022 · 1 min read डोली में अब मुश्किल होगा, लौटना तेरे महफ़िल में मुझे आवाज़ ना देना, बहुत दिन रह गए हैं हम तेरे बस्ती में।। अब कोई अपना ना रहा तेरे इस शहर में हमें... Hindi · ग़ज़ल 2 2 361 Share Nitu Sah 27 Jun 2022 · 1 min read कुछ ना रहा अब लौटने की कोई मेरे पास वजह ना रहा जब कोई रिश्ता ना रहा तो कुछ ना रहा। । अब उन बातों,उन वादों का कोई मतलब ना रहा जब तेरे... Hindi · ग़ज़ल 3 4 437 Share Nitu Sah 26 Jun 2022 · 1 min read झूठ बोलने की झूठ बोलने की ये कैसी सज़ा पाईं हूं जिसे अपना कहती थीं आज उनके लिए पराई हूं । मंदिर की सिढ़िया चढ़ते -चढ़ते एक बात सीख आई हूं हवाओं से... Hindi · ग़ज़ल 2 4 159 Share Nitu Sah 26 Jun 2022 · 1 min read अगर नशा सिर्फ शराब में अगर नशा सिर्फ शराब में होती तो तेरे दर क्यों आतें साकी जो जाम आंखों से तुमने पिलाया था उसकी कसक आज़ भी हैं बाकी।। अब तो चाहत हैं तेरे... Hindi · ग़ज़ल 2 2 267 Share Nitu Sah 14 Jun 2022 · 1 min read मैं हूं तेरे साथ ना डर मेरे लाडले ,आगे चलते-चल मैं हूं तेरे साथ, तू आगे चलते-चल।। किस बात की है हैरानी,तू ढूंढ ले ओ रौशनी मैं हूं तेरे साथ,तू मन में भर के... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · ग़ज़ल 3 4 229 Share