Pushpendra Rathore Tag: कविता 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pushpendra Rathore 16 Aug 2017 · 1 min read प्रेम पत्र प्रिय लिख रहा पाती तुमको, इत्रों से महकाया इस को, अक्षर अक्षर प्रेम निहित है, पाती में भावना विहित है, सब अश्रु अब मसी हुये हैं, हाथ ही मेरे कलम... Hindi · कविता 1 1 288 Share Pushpendra Rathore 13 Aug 2017 · 1 min read पीड़ा नारी नारी नारी बेचारी बेचारी तू अबला संग में विपदा गहे अब तेरी पीड़ा कौन कहे ये बात नहीं आज कल की है, ये हर सदी हर पल की है,... Hindi · कविता 325 Share Pushpendra Rathore 23 Mar 2017 · 1 min read माँ और पत्थर आज मिली थी मुझे निराला की वही पवित्रा हां वही जो अभी भी तोड़ती है पत्थर इलाहाबाद के पथ पर उसे देख मैं ठिठका और फिर ठहर गया मेंने देखा... Hindi · कविता 422 Share Pushpendra Rathore 23 Mar 2017 · 1 min read रात बीती कल रात बड़ी खुशनुमा थी पूनम का चांद चमक रहा था नीले आकाश में तारे मद्धिम संगीत बजा रहे थे रोशनी मीठे शहद सी टपक रही थी पेड़ों से उनकी... Hindi · कविता 433 Share Pushpendra Rathore 10 Jan 2017 · 1 min read बिटिया रानी एक अनलिखी अनपढ़ी कहानी हूं, मैं जूही, चंपा व रातरानी हूं, हंसता बचपन और गुड्डे गुङिया, मैं तो बाबा की बिटिया रानी हूं, बङी हुई तो रंगत गोरी निखरी, पर... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 887 Share Pushpendra Rathore 20 Oct 2016 · 1 min read कुंवारी मां इक लड़की थी भोली भाली सी, सलोनी, सांवली छवि वाली सी, इक मधुप पुष्प पर बैठ गया, और दंश प्रेम का भेद गया, इक ओर प्रेम निश्छल पावन, इक ओर... Hindi · कविता 501 Share Pushpendra Rathore 10 Oct 2016 · 1 min read शिकायत तुम्हें मुझसे हरदम थी शिकायत, कि मैं तुम्हें कभी नहीं लिखता, मैं लिखना चाहता हूं पर पूरे हक से, मैं लिखूंगा तुम्हारे नर्म, नाजुक, गुलाबी, लरजते होंट, पल दर पल... Hindi · कविता 2 314 Share Pushpendra Rathore 18 Jun 2016 · 1 min read मोहब्बत के गवाह वो नदिया, वो दरिया, वो फूलों की बगिया, वो सरसों के खेत, और उनकी मेङ, वो अमराई की छांव, वो नदिया की नाव, वो चाय की प्याली, वो जूठे बिस्किट... Hindi · कविता 1 329 Share Pushpendra Rathore 24 May 2016 · 1 min read नटखटिया दोस्ती यार दोस्ती भी क्या अजीब रिस्ता है, साथ-साथ खेलते हैं, हंसते हैं और फिर जम कर लङते हैं कौन यह झूठ कहता है कि दोस्त कभी लङते नहीं हां लङने... Hindi · कविता 522 Share Pushpendra Rathore 23 May 2016 · 1 min read मां मेरा जहां एक दिन मन ने सोचा कि चारों वेद, अठारह पुराण और सभी शास्त्र अगर एक शब्द में लिखूं तो कैसे लिखूं पर यह उलझन क्षण मात्र में सुलझ गई मैं... Hindi · कविता 356 Share