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मुझे भुला दो बेशक लेकिन,मैं तो भूल न पाऊंगा।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
मुझे भुला दो बेशक लेकिन,मैं तो भूल न पाऊंगा।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
दोष उनका कहां जो पढ़े कुछ नहीं,
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
नदियां जो सागर में जाती उस पाणी की बात करो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
दर्द तन्हाई मुहब्बत जो भी हो भरपूर होना चाहिए।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
क्या है खूबी हमारी बता दो जरा,
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
संविधान का शासन भारत मानवता की टोली हो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
माना सच है वो कमजर्फ कमीन बहुत है।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
जो मासूम हैं मासूमियत से छल रहें हैं ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
छिपकली बन रात को जो, मस्त कीड़े खा रहे हैं ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
पापा जी
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
दोहरा चरित्र
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
कोरोना -दोहे
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
माँ का अनादर
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
माँ (कविता)
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
दोहे
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
भाषा की मर्यादा(दोहे)
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
कविता (माँ)
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
कविता (माँ)
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
प्रखर देख हैरान
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
प्रखर देख हैरान
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
दोहा
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’