Pradeep Shoree 26 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pradeep Shoree 10 Mar 2024 · 1 min read मजाज़ी-ख़ुदा! मर्द को अपनी मर्दानगी पे बड़ा फ़ख़्र है मगर उसकी ज़िम्मेदारियों से बेख़बर है किरदार सवालिया निशानों से है घिरा तब भी बना बेपरवाह घूमता बेफ़िक्र है नज़र ऐसी जैसे... Hindi 259 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 1 min read बारिश! वो बारिश को निहारने का सपना साथ हो वो जो दिल से हो अपना घंटों बैठे खिड़की से बाहर तकना वो दोनों का हाथ में हाथ पकड़ना धीमें धीमें से... Poetry Writing Challenge-2 207 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 1 min read बूँदे बारिश की! मैं जानता हूँ बारिश कितनी बावली थी तुम्हारा चेहरा छूने को वो उतावली थी! मोतियों जैसी टपकती बूँदों की ख़ातिर मैं जानता हूँ तुम सचमुच ही बावरी थी! तुम्हारे चेहरे... Poetry Writing Challenge-2 339 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 1 min read दास्तान-ए-दर्द! इन उजड़ी राहों से कैसे गुज़र पाया होगा उसका दर्द कहाँ कोई समझ पाया होगा! किसी तूफ़ान का अंदेशा तो पहले ही था तबाही बताती है कोई तूफ़ान आया होगा!... Poetry Writing Challenge-2 296 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 1 min read मुझे जागना है ! मुझे जागना है अपनी नींद से लड़ना है नये सपनों के जंजाल में क्यों पड़ना है! पहले ही देखे रक्खे हैं अनगिनत सपने असमंजस में हूँ उन्हें कैसे पूरा करना... Poetry Writing Challenge-2 183 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 1 min read छलकते आँसू छलकते जाम! आँसू और जाम बड़े बे-मुरव्वत हैं जब देखो दोनों छलक ही जाते हैं! दिल के ग़म हों या हो कोई ख़ुशी दोनों कोई भी मौक़ा नहीं गँवाते हैं! बस छलक... Poetry Writing Challenge-2 228 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 1 min read अग्नि परीक्षा! सही हुआ उसके घर बेटी न हुई बेटी पाने योग्य होता वो कैसे कभी जिसने स्त्री की मान मर्यादा एवं प्रतिष्ठा का मोल ही न जाना कभी! उसका साथ निभाने... Poetry Writing Challenge-2 223 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 1 min read एक बात! एक बात पूछनी थी तुमसे डरता हूँ कहीं तुम नाराज़ तो नहीं होगी बला की खूबसूरत हो तुम तुम्हारे हुस्न की बात तो होती ही होगी बताने की ज़हमत उठाओगी... Poetry Writing Challenge-2 150 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 2 min read मैं टीम इंडिया - क्यों एक अभिशापित कर्ण हूँ मैं! क्या मैं भी एक अभिशापित कर्ण ही हूँ! क्या श्रापित हूँ मैं भी उसकी ही तरह? मैं भी उसकी ही भाँति उच्च योद्धा जाना जाऊँ मैं भी किसी अर्जुन से... Poetry Writing Challenge-2 265 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 1 min read संदूक पुरानी यादों का! नयी यादों का पिटारा तो लिए घूमता हूँ उन्हें मैं अक्सर उलटता पलटता रहता हूँ पिटारे को मैं झाड़ता पोंछता भी रहता हूँ उन यादों को धूप हवा लगवाता रहता... Poetry Writing Challenge-2 291 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 1 min read रुखसती! वैसे कोई दोस्ती तो नहीं मगर फिर भी गले तो लगा लेंगे जब भी मौत आयेगी कुछ कहे बिना ही उसे अपना लेंगे! दगा ही तो देती है हर इंसान... Poetry Writing Challenge-2 195 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 1 min read आशिक! आशिक़ बाज़-औक़ात मिज़ाज में बेतकल्लुफ़ी दिखा देता है लापरवाह तो नहीं हाँ मगर खुद को वो बेपरवाह बना लेता है सितम सहकर भी बस सितमगर की ही यादों में खोया... Poetry Writing Challenge-2 155 Share Pradeep Shoree 30 Jan 2024 · 2 min read नारियल पानी ठेले वाला! बात चाहे पुरानी है मगर अब भी वक्त की कसौटी पे खरी उतरती संघर्ष की सार्थकता की यह निशानी है हँसी ठट्ठा नहीं ये तो संघर्षों भरे जीवन की कहानी... Poetry Writing Challenge-2 186 Share Pradeep Shoree 28 Jan 2024 · 2 min read रूहें और इबादतगाहें! मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा चर्च यही इबादतगाहें हैं सभी इबादत से रूहानियत का रास्ता इबादतगाहें हैं सभी! कोई राम कहे या रहीम कोई कृष्ण कहे या करीम तुझे अनगिनत नामों से... Poetry Writing Challenge-2 156 Share Pradeep Shoree 25 Jan 2024 · 1 min read शख़्स! उस दौर का कुछ अलग ही आलम था हुजूम में घिरा शख़्स तन्हाई चाहता था! अब तन्हाई है मगर अलग ही आलम है अब तो वो उकताया हुजूम तलाशता है!... Poetry Writing Challenge-2 165 Share Pradeep Shoree 24 Jan 2024 · 1 min read दीये तले अंधेरा! आकाश में कुछ भी नज़र आता नहीं हाथ भी तो कोई रास्ता सुझाता नहीं! अमावस के बाहुपाश में फँसी रात है चाँद जो छुप गया है जाकर कहीं! कोई आसमान... Poetry Writing Challenge-2 146 Share Pradeep Shoree 24 Jan 2024 · 1 min read चटोरी जीभ! यह जीभ स्वादों की मारी पड़ी है चटोरी लुभाती ललचाती बड़ी है इंसान को वशीभूत करने निकली इच्छा शक्ति को हराती ही रही है घूमती झूमती उलटती पलटती सबको ही... Poetry Writing Challenge-2 324 Share Pradeep Shoree 24 Jan 2024 · 2 min read ऐ तक़दीर तू बता ज़रा…..! ऐ तक़दीर तू बता ज़रा तदबीर से क्यों रूठी हुई तू भी अपना काम कर वो अपना काम कर रही तेरे रूठने के बाद भी देख उसने हार मानी नहीं... Poetry Writing Challenge-2 164 Share Pradeep Shoree 24 Jan 2024 · 2 min read चाँद और अंतरिक्ष यात्री! तू मेरी जमीं की अंधेरी तरफ़ जो आया है क्या रौशनी करेगा या कुछ चुराने आया है! क्या नहीं मिला ज़मीं पे खोज करके तुम्हें जो खोज करने यहाँ मेरी... Poetry Writing Challenge-2 134 Share Pradeep Shoree 24 Jan 2024 · 1 min read इंतज़ार तुम्हारा! वैसे तो हर कोई आता है यहाँ जाने के लिए मगर हर कोई जाता नहीं ऐसे रुलाने के लिए जाते जाते तुम ढेरों यादों का ख़ज़ाना दे गये उनमें डूबे... Poetry Writing Challenge-2 129 Share Pradeep Shoree 24 Jan 2024 · 1 min read आका का जिन्न! नादान ही तो थे जो अनजान थे बुरा अंजाम होगा उनका जिन्न उन्हीं के लिए एक बड़ा अज़ाब होगा वो अक्सर हैवानियत को ये सोचकर शह देते रहे शैतान उनके... Poetry Writing Challenge-2 129 Share Pradeep Shoree 24 Jan 2024 · 1 min read नींद! सोने को तब भी सच में मन कितना करता था बिस्तर देख नींद को मन कितना मचलता था और आज भी कुछ बदला नहीं वही आलम है बिस्तर देखते ही... Poetry Writing Challenge-2 261 Share Pradeep Shoree 24 Jan 2024 · 1 min read बेरहम आँधियाँ! क्यों चाहते हो बेरहम आँधियों को मैं ख़ुशगवार हवाएँ कहूँ ऐसी क्या मजबूरी है जो चाहते हो कोई सवाल ही ना करूँ जो ज़मींदोज़ हुआ याद करो तुम्हारा भी आशियाँ... Poetry Writing Challenge-2 325 Share Pradeep Shoree 24 Jan 2024 · 1 min read *हमारी कश्ती!* देखा ही होगा समन्दर में दूसरी कश्तियाँ भी तो जनाब थीं जिनके मालिकों की हालत हमसे तो ज़्यादा ही ख़राब थी किसी बात की कमी न थी हमारी कश्ती के... Poetry Writing Challenge-2 134 Share Pradeep Shoree 24 Jan 2024 · 1 min read फ़िरक़ापरस्ती! फ़िरक़ापरस्ती के जाल बुनते फिरते हैं फ़िरक़ों में बँटे नफ़रतें उगलते फिरते हैं! कोई कम नहीं सभी तो बलवाई हैं यहाँ उँगलियाँ दूसरों पर सब उठाते फिरते हैं! हर तरफ़... Poetry Writing Challenge-2 199 Share Pradeep Shoree 24 Jan 2024 · 1 min read इबादत! बेशक इबादत करने रोज़ हम जाते हैं फिर भी बेहतर इंसान कहाँ बन पाते हैं वही रटा रटाया दोहराते हैं रोज़ ही हम मगर असल मायने कहाँ समझ पाते हैं... Poetry Writing Challenge-2 255 Share