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ग़ज़ल
प्रदीप माहिर
जब फ़ज़ाओं में कोई ग़म घोलता है
प्रदीप माहिर
(ग़ज़ल) तेरा साथ ही जब मयस्सर नहीं
प्रदीप माहिर
नारी
प्रदीप माहिर
ये ज़माना हवा-हवा सा है
प्रदीप माहिर