pradeep kumar 71 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid pradeep kumar 2 Oct 2020 · 1 min read वीणावादिनि वर दे। शब्द शब्द अक्षर अक्षर में, सार समाहित कर दे। जन के मन की पीर लिखूँ माँ, वीणावादिनि वर दे।। सच को सच कहने से माते, वर दे कभी न हारूँ।... Hindi · गीत 3 2 537 Share pradeep kumar 12 Sep 2020 · 1 min read सत्ता के सुरूर में..... कुछ काले कारनामे कर रहे मातहत, कुछ काले काम वे जो आप किये जा रहे। रौब से दबाव से प्रभाव से स्वभाव से ही, मौन जो विरोध के आलाप किये... Hindi · घनाक्षरी 2 1 453 Share pradeep kumar 24 Aug 2020 · 1 min read हम अकेल कामना पुष्पों की लेकर, कंटकों के राजपथ पर, हम अकेले चल रहे हैं।। कर रहीं हैं राज जग पर, ओढ़ कर उजले कफन को, कुछ मरी संवेदनाएं। फिर रही हैं... Hindi · गीत 1 436 Share pradeep kumar 16 Aug 2020 · 1 min read हो गये हैं...... मुजरिमों के मार्गदर्शक, मित्र, थाने हो गये हैं। इसलिए ही जुर्म के मौसम सुहाने हो गये हैं।। काटनी है जिंदगी उनको सजा के रूप में अब। स्वर्ग में तब्दील सारे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 610 Share pradeep kumar 12 Aug 2020 · 1 min read भला क्यों? हो गया है जब बिछुड़ना ही सुनिश्चित, और थोड़ा वक्त अब माँगूँ भला क्यों ? प्यास सागर भी बुझा पाया नहीं जब, ओस की बूँदों से फिर विनती क्या करनी।... Hindi · गीत 2 503 Share pradeep kumar 5 Aug 2020 · 1 min read सबूत माँगते थे जो राम का विरोध करने के लिए राम से ही, धन और दौलत अकूत माँगते थे जो। देशद्रोहियों के साथ मिलके समाज तोड़, सकें इसलिए ही भभूत माँगते थे जो। राम... Hindi · घनाक्षरी 1 366 Share pradeep kumar 5 Aug 2020 · 1 min read राम नाम से बड़ा न और कोई मंत्र है। महिमा अपार राम नाम की जो माप सके। जग में न बन सका अभी कोई यंत्र है। राम है अनंत कथा राम की अनंत और, राम हैं पुराण राम नाम... Hindi · घनाक्षरी 4 2 620 Share pradeep kumar 31 Jul 2020 · 1 min read साँप पाले जायेंगे। फैसले जनहित के सारे कल पे टाले जायेंगे। आस्तीनों में दुबारा साँप पाले जायेंगे।। खून होगा आपसी सद्भाव का चारों तरफ। धर्म मजहब जाति के मुद्दे उछाले जायेंगे।। भेड़ियों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 6 6 423 Share pradeep kumar 28 Jul 2020 · 1 min read हमको बाँध न पाये बुद्ध तथागत अपना मन,तन, फक्कड़ मस्त कबीर। हमको बाँध न पाये कोई, दुनिया की जंजीर।। तेरा-मेरा, इसका-उसका, अपना और पराया। सबकुछ कोरा झूठ सत्य यह, लोभ मोह की माया। हीरे... Hindi · कविता 6 5 419 Share pradeep kumar 18 Jul 2020 · 1 min read संक्रमित शुभकामनाएं कागजों में कैद होकर, जी रही घुट-घुट दुआएं। कौन हैं हम? पूछती हैं, संक्रमित शुभकामनाएं।। हाथ में लेकर दिये जो चल रहे थे, ठोकरें खा खाइयों में गिर गये हैं।... Hindi · गीत 6 1 448 Share pradeep kumar 13 Jul 2020 · 1 min read अब भी गतिविधियों से हो रहा, "दीप" यही आभास। राजनीति की कोख में, अब भी कई विकास।। प्रदीप कुमार "दीप" सुजातपुर, सम्भल Hindi · दोहा 4 2 435 Share pradeep kumar 9 Jul 2020 · 1 min read हमनें भार समझ कर ढोये केवल भार समझकर ढोये, किए न अंगीकार! इसीलिए दिखते हैं रिश्ते, थके थके बीमार! ! हमने सिर्फ स्वार्थ को ओढा़, पीर पराई जानी कब! झूठे गढे़ कुतर्कों आगे, सीख सत्य... Hindi · गीत 4 1 447 Share pradeep kumar 7 Jul 2020 · 1 min read पटकथा फिर से महाभारत की लिक्खी जा रही है। हर जुबां पर दंभ की चिड़िया तराना गा रही है। पटकथा फिर से महाभारत की लिक्खी जा रही है। है विषय अफसोस का यह, फिर धरा पर विश्व गुरु की,... Hindi · गीत 2 2 861 Share pradeep kumar 30 Jun 2020 · 1 min read सैनिक जैसे गीत... गद्दारों को अपने दम से, याद दिला दें नानी। सैनिक जैसे गीत लिखो कवि, राष्ट्र भक्त बलिदानी।। निर्धन की आँखों के आँसू, पीड़ा का अखबार। लोकतंत्र के सच्चे नायक, सच... Hindi · गीत 3 333 Share pradeep kumar 29 Jun 2020 · 1 min read उम्मीद रातों रोई कामना, दुखी हुई उम्मीद। एक एक कर हो गये, सपने सभी शहीद।। आशाएँ विकलांग हैं, और स्वप्न बीमार। ले लेता हूँ रोज ही, सांसें चंद उधार।। धुआँ-धुआँ सी... Hindi · दोहा 3 2 356 Share pradeep kumar 27 Jun 2020 · 1 min read आजादी के बाद आजादी के सपने टूटे, आजादी के बाद। जलीं बस्तियाँ धू धू करके, किसका कहें कसूर। जाति धर्म के फोड़े फुंसी, बन बैठे नासूर।। जितना मरहम मला घाव पर, उतनी पड़ी... Hindi · गीत 4 1 394 Share pradeep kumar 26 Jun 2020 · 1 min read पीछे रोज हटे आगे बढ़ने की धुन में हम, पीछे रोज हटे। कल को विस्मृत कर बैठे कल, कैसे उज्ज्वल हो। केवल तन धो लेने से मन, कैसे निर्मल हो। चाह समंदर बनने... Hindi · गीत 1 1 373 Share pradeep kumar 26 Jun 2020 · 1 min read किसानों को.. फसल ख्वाबों की आँखों में, कभी बोने नहीं देते। किसी उम्मीद के शिशु को, युवा होने नहीं देते। कभी बारिश, कभी सूखा, कभी आँधी, कभी ओले, किसानों को घड़ी भर... Hindi · मुक्तक 2 1 529 Share pradeep kumar 25 Jun 2020 · 1 min read आजकल शौक है नेमत कहाँ है आजकल। इश्क में गैरत कहाँ है आजकल। बिन डरे दुनिया में सच कोई कहीं। बोल दे हिम्मत कहाँ है आजकल।। पटरियों फुटपाथ सड़कों पर पड़ा।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 357 Share pradeep kumar 24 Jun 2020 · 1 min read जाने कब से..... जाने कब से मजबूरी के आँगन में, भूख प्यास के घुँघरू बाँधे नाच रहे।। गिरवी रखी हुई है अपनी तरुणाई, पूर्ण सुरक्षित अलमारी के कोने में। चुगली ना कर बैठे... Hindi · गीत 5 1 360 Share pradeep kumar 24 Jun 2020 · 1 min read तू ही है... मेरी हर नज्म है तू ही, मेरा हर गीत तू ही है। मेरा सपना मेरी चाहत, मुहब्बत प्रीत तू ही है। मेरे मनमीत मेरी जिंदगी है जिंदगी तुझसे। मेरे सीने... Hindi · मुक्तक 3 654 Share pradeep kumar 22 Jun 2020 · 1 min read राजनीति अंग-अंग में भरी कुटिलता, रोम-रोम में मक्कारी। कोरोना से कहीं भयानक, राजनीति है बीमारी।। ये लाशों का अम्बार देख खुश, होती है मुस्काती है। ये रंग बदलती गिरगिट सा, घड़ियाली... Hindi · गीत 2 3 568 Share pradeep kumar 21 Jun 2020 · 1 min read पिता पिता रूप भगवान का, पिता तीर्थ का नाम। चरण पिता के पूज ले, बन जाएंगे काम।। "दीप" संगणक सम पिता, पिता ज्ञान विज्ञान। पल भर में करते पिता, हर मुश्किल... Hindi · दोहा 2 2 659 Share pradeep kumar 21 Jun 2020 · 1 min read क्रोधित माधव देख रहा हूँ... "दीप" विवशता लाचारी का, बढ़ता वैभव देख रहा हूँ। मैं अपने नयनों से अपने, स्वप्नों के शव देख रहा हूँ। नेह निमंत्रण पाकर मेरा, आँगन में आ बैठ गयीं हैं,... Hindi · गीत 6 2 583 Share pradeep kumar 19 Jun 2020 · 1 min read स्वप्न न बेचे... रोटी की खातिर सबकुछ, बेचा लेकिन, स्वप्न न बेचे। हमनें चौराहों पर रखकर काले जामुन केले बेचे। चीकू सेब संतरे लीची नीबू आम करेले बेचे।। सब्जी बेची लेकिन अपने मन... Hindi · गीत 5 2 533 Share pradeep kumar 18 Jun 2020 · 1 min read रंग रूप के दरवाजे पर... रंग रूप के दरवाजे पर, कब से घायल इश्क पड़ा है!! आँखों के खारे पानी में, निज सपनों का तर्पण करके। स्वाभिमान का कटा हुआ सर, उसको सादर अर्पण करके।।... Hindi · गीत 3 1 354 Share pradeep kumar 14 Jun 2020 · 1 min read कृष्ण सो रहे अपनों में संग्राम छिड़ा है, चादर ओढ़े कृष्ण सो रहे।। त्याग चुकी है आज केंचुली, राजनीति परिभाषाओं की। ज्येष्ठ मास की धूप सरीखी, तपे चाँदनी आशाओं की।। धर्म सरीखे शब्द... Hindi · गीत 3 2 550 Share pradeep kumar 6 May 2020 · 1 min read फटी पुरानी चादर ओढ़े... फटी पुरानी चादर ओढे़,कच्चे घर में, टूटे फूटे सपनों की जिद जारी है ! युगों बाद फुरसत की छत पर, चिंतन और मनन के छण हैं ! युगों बाद टकराने... Hindi · गीत 1 1 429 Share pradeep kumar 16 Apr 2020 · 1 min read लिखा आँसुओं पर विधना ने... लिखा आँसुओं पर विधना ने, जन्मसिद्ध अधिकार हमारा।। टंकित नाम हमारा केवल, कर्तव्यों के पृष्ठों पर ही ! पीड़ाओं के अभिलेखों पर, संत्रासों पर कष्टों पर ही ! हमनें जब... Hindi · गीत 341 Share pradeep kumar 29 Mar 2020 · 1 min read भूख ने तोड़ा तो। जिन सपनों ने गांव गली घर छुड़वाया, भूख ने तोड़ा तो वे सारे टूट गये।। दूर से चंदा जैसा लगता था लेकिन, पास गये तो पाया जुगनू मरा हुआ। जाते... Hindi · गीत 1 357 Share Page 1 Next