Prachi Kushwah 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Prachi Kushwah 19 Nov 2021 · 1 min read नासमझ नासमझ सी ये ख्वाहिशें उम्र तार सजा थी रही झूठे दिलासे दिलाती रही। ना ज्यादा बड़ी थी ख्वाइश है जिन से जी चुरा लिया जाए ना ऐसी कोई ख्वाइश थी... Hindi · मुक्तक 1 1 209 Share