Pintu Kumar Tag: कविता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pintu Kumar 14 Mar 2017 · 1 min read बेटियां मैं नहीं वो कली अब, खिली हो जो मुरझाने को, अब नहीं मैं अबला नारी, बनी हो जो सताने को. नहीं बनना है अब मुझे, परिहास इस जमाने मैं, सक्षम... Hindi · कविता 479 Share Pintu Kumar 3 Mar 2017 · 1 min read उस का ये गुलाब उठी है आज कलम फिर, कुछ लिखने का मन चाह रहा है, आज फिर मुझे उस का, दामन याद आ रहा है, दोस्त कहते है भूल जा उस को, पर... Hindi · कविता 830 Share